सांसद दर्शना सिंह ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को किया नमन, राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक थे मुखर्जी

राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि
कहा - उनके सपनों को साकार करना ही सच्ची श्रद्धांजलि
राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और महान राष्ट्रवादी विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने डॉ. मुखर्जी को राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनके बलिदान और विचार आज भी देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

दर्शना सिंह ने कहा कि "एक निशान, एक विधान और एक प्रधान" की कल्पना को साकार करने के लिए डॉ. मुखर्जी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने परतंत्र भारत से लेकर स्वतंत्र भारत की राजनीति को एक नयी दिशा देने का कार्य किया और क्षेत्रीय-भाषायी सीमाओं से ऊपर उठकर देश की राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।

डॉ. मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता में हुआ था। केवल 23 वर्ष की उम्र में कलकत्ता विश्वविद्यालय की सीनेट के फैलो बने और 33 वर्ष में कुलपति बने, जो विश्व में सबसे कम उम्र में यह पद संभालने का एक कीर्तिमान है। वे न सिर्फ एक शिक्षाविद् थे, बल्कि राष्ट्रहित के लिए उन्होंने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।
उन्होंने 1941 से 1947 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। पाकिस्तान के साथ नेहरू-लियाकत समझौते का विरोध करते हुए उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था। उन्होंने धार्मिक आधार पर किसी भी प्रकार के आरक्षण या विशेष संरक्षण का विरोध किया और हमेशा सामाजिक समरसता और राष्ट्रहित की बात की।
डॉ. मुखर्जी के विचार आज भी समय की कसौटी पर खरे उतरते हैं। उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम और सर्वधर्म समभाव के भारतीय दर्शन को जिया। उर्दू भाषा को बढ़ावा देने से लेकर नजरुल इस्लाम जैसे साहित्यकारों की सहायता तक, उनके कार्यों से उनकी समावेशी सोच झलकती है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने धारा 370 हटाने, वक्फ संशोधन कानून, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 जैसे निर्णय लेकर डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। अब आवश्यकता है कि शिक्षा, कृषि, संस्कृति और स्वदेशी संसाधनों पर आधारित विकास नीति अपनाकर राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के कार्य को और तेज किया जाए।
अंत में दर्शना सिंह ने माना कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान का मूल्यांकन व्यापक दृष्टिकोण से होना चाहिए और उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहना चाहिए।
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