मुंसिफ न्यायालय की आस में बीत गए 28 वर्ष, न जाने कब पूरी होगी सकलडीहा के अधिवक्ताओं की मांग

अब भी हो रहा है कोर्ट की सुविधा का इंतजार
सांसद वीरेन्द्र सिंह ने दिया है भरोसा
कहा- मुंसफी न्यायालय के लिये प्रस्ताव बनाकर भिजवाने की सलाह
चंदौली जिले की सकलडीहा तहसील 20 अक्तूबर 1998 को अस्तित्व में आ गयी थी। तहसील के शिलान्यास के बाद भवन नहीं होने के कारण बीटीसी प्रशिक्षण सेंटर में संचालन शुरू हुआ और वर्ष 2003 में जब तहसील का भवन बना तो उसमें संचालित होने लगा। लेकिन 28 साल बीत गया अब तक मुंसफी न्यायालय की स्थापना नहीं हो पाया।

संयुक्त बार के अधिवक्ताओं की ओर से कई बार मांग और धरना प्रदर्शन के बाद भी इसकी सुविधा शुरू नहीं हो सकी। इसके चलते तहसील के चार परगना के वादकारियों और अधिवक्ताओं को इसके लिए चंदौली का चक्कर काटना पड़ता है। इसके लिए तहसील अंतर्गत गाजीपुर के जमानियां और सैदपुर बार्डर से लोग 30-35 किमी का चक्कर काटकर पहुंचते हैं। इससे उनका समय, श्रम और पैसा सब बर्बाद होता है।
सकलडीहा तहसील में संवाद कार्यक्रम में अधिवक्ताओं ने कहा कि मुंसफी न होने के कारण आज भी तहसील के 441 गांव के लोगों को न्याय पाने के लिये समय के साथ अधिक धन खर्च करके चंदौली जाना पड़ता है। जिसे लेकर वादकारियों को काफी परेशानी होती है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। जिससे वादकारियों और अधिवक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ती है। सकलडीहा तहसील में कुल 441 गांव की कुल आबाद गांवों की संख्या 374 है। 67 गैर आबाद गांवों की संख्या है। तहसील का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 58 हजार 582 है। कृषि क्षेत्रफल 48 हजार 411 है। वर्ष 2011 के जनसंख्या के आधार पर सम्पूर्ण जनसंख्या 5 लाख 88 हजार 241 है। तहसील में बरह, महाईच, महुआरी और बढ़वल कुल चार परगना है। तीन ब्लॉक सकलडीहा, चहनिया और धानापुर है। जिसमें सकलडीहा में कुल 13 न्याय पंचायत में 104 गांव है।
चहनिया में कुल 13 न्याय पंचायत में 91 गांव और धानापुर में कुल 12 न्याय पंचायत में कुल 84 गांव है। तहसील में सकलडीहा, धानापुर, कमालपुर, खंडवारी, मारूफपुर, बलुआ, महरखां, तोरवां, धरहरा, आवाजापुर, बर्थरा, महेसुआ और रामगढ़ कुल 13 राजस्व निरीक्षक क्षेत्र है। कुल चार नायब तहसीलदार बरह, महाईच, महुआरी और बढ़वल है। इसमें सकलडीहा, बलुआ, धानापुर, धीना थाना है। तहसील क्षेत्र में 38 हजार 386 भूमिहीन परिवार के लोग है। जिसमें 33120 लोगों को आम श्रीमा योजना के तहत पंजीकृत किया गया है।
जमनिया के बार्डर से लेकर सैदपुर के बार्डर तक सकलडीहा और सैयदराजा विधान सभा क्षेत्र के लोग आज भी न्याय पाने के लिये पूरा दिन और पैसा खर्च कर चंदौली न्यायालय जाने के लिये मजबूर है जबकि कई बार सकलडीहा तहसील के अधिवक्ताओं ने संयुक्त रूप से जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हाई कोर्ट के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया। इसके बाद भी सकलडीहा में मुंसफी न्यायालय शुरू नहीं होने से काफी समस्या क्षेत्र के गरीब वादकारियों को उठानी पड़ती है। इसके बन जाने से आमजन को सुलभ न्याय मिलने में काफी सहूलियत मिलेगी।
न्यायालय के अधिवक्ताओं और वादकारियों ने बताया कि मुंसफो न्यायालय की स्थापना होने से उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी। इससे उनको काफी दूरी तय कर दूसरे न्यायालय पर नहीं जाना पड़ेगा। हालांकि इसको लेकर कई बार मांग करने पर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इस सम्बंध में सांसद विरेंद्र सिंह ने कहा कि संयुक्त बार सकलडीहा की ओर से मुंसफी न्यायालय के लिये प्रस्ताव बनाकर भेजवाये जाए । उसके बाद मुंसफी न्यायालय के लिए जिला प्रशासन और शासन स्तर पर जहां जरूरत होगी वहां वार्ता की जाएगी ।
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