25 साल से मुस्लिम परिवार निभा रहा है छठ पूजा की अनोखी परंपरा, परिवार का मिलता है पूरा सहयोग
गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करता है परिवार
25 सालों से मुस्लिम परिवार मना रहा है छठ महापर्व
बेटा होने की खुशी में हुई थी शुरुआत
मुस्लिम महिला परवीन वारसी ने 8 साल से निभा रही हैं छठ व्रत की परंपरा
चंदौली जिले में सूर्य उपासना का महापर्व छठ न केवल हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में यह त्योहार गंगा-जमुनी तहजीब और सामाजिक सद्भाव की भी मिसाल बन चुका है। यहां एक मुस्लिम परिवार पिछले 25 सालों से छठ पर्व को पूरी श्रद्धा और धूमधाम से मनाता आ रहा है, जो धर्मनिरपेक्ष भारत की खूबसूरत झलक पेश करता है।

यह परंपरा चकिया तहसील क्षेत्र के सैदूपुर निवासी डॉक्टर रुस्तम कुतुबुद्दीन की पत्नी और राइजिंग सन वर्ल्ड स्कूल, मवैया की प्रबंधक परवीन वारसी के परिवार में निभाई जा रही है। फिलहाल इन्होंने अपना मकान मुगलसराय के पास बाईपास पर बनवा लिया है। वह पिछले 10 साल के अधिक समय से वही रहती हैं और जिला मुख्यालय व मुगलसराय में पोखरे पर पिछले कई साल से छठ पूजा कर रही हैं।
पुत्र रत्न की प्राप्ति से हुई थी शुरुआत
परवीन वारसी ने बताया कि इस व्रत की शुरुआत उनकी माता नाजमा बेगम ने लगभग 25 साल पहले की थी। उनकी मां को पहले चार बेटियां हुईं। पुत्र की कामना पूरी होने और बेटे के जन्म की खुशी में उनकी मां ने छठ व्रत और पूजा करने की शुरुआत की। परिवार के पूर्ण सहयोग से यह परंपरा लगातार चली आ रही है।
अब उनकी मां की बढ़ती उम्र के कारण, उनकी बड़ी बेटी परवीन वारसी ने इस परंपरा की जिम्मेदारी संभाल ली है। परवीन पिछले 8 सालों (2018 से) से छठ का कठिन व्रत रखती आ रही हैं और ढलते व उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं।

'यह हिंदू-मुस्लिम नहीं, आनंद का पर्व है'
छठ व्रती परवीन वारसी का कहना है, "हमारे लिए परिवार सबसे पहले है। अगर किसी व्रत को रखने से घर में खुशहाली आए तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यह हिंदू-मुस्लिम नहीं, आनंद का पर्व है। इससे समाज में आपसी प्रेम और अमन-चैन भी बना रहता है।" उन्होंने कहा कि मान्यता है कि इस व्रत के दौरान भोर में सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से परिवार की उन्नति होती है, और इसी कारण वह इस व्रत को पूरी आस्था से निभाती हैं।
परिवार की इस अनोखी आस्था को निभाने में उनके परिजनों का भी पूरा सहयोग मिलता है। परिवार पहले चकिया के मां काली मंदिर पोखरे और चंदौली मुख्यालय स्थित साव जी पोखरे पर छठ पर्व करता था, और इस वर्ष मुगलसराय के एक पोखरे पर यह पर्व मनाया जा रहा है। परवीन वारसी और उनके परिवार की यह अनूठी पहल यह दर्शाती है कि आस्था किसी धर्म की सीमाओं से बंधी नहीं होती, और यह सदियों से चली आ रही भारतीय संस्कृति की मिसाल है।
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