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जंगल में मंगल : शिकारियों पर अंकुश से बढ़ा मोर का कुनबा, ऐसे हैं जंगल के आंकड़े

चंद्रप्रभा अभयारण्य में वन्य जीवों के शिकार पर हाल के वर्षों में अंकुश लगा है। विभाग की ओर से कार्रवाई होने के कारण शिकारियों में भय व्याप्त है। वन्य जीव सुरक्षित हुए हैं।
 

जिले के चंद्रप्रभा अभयारण्य में बढ़े मोर

राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या बढ़ने से खुशी

शिकारियों पर अंकुश लगाने का दिख रहा असर

चंदौली जिले के चंद्रप्रभा अभयारण्य में राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या बढ़ने लगी है। वर्ष 2016 में वन विभाग की ओर से कराई गई वन्य जीवों की गणना में इनकी संख्या 150 थी लेकिन मई 2022  की गणना में इनका परिवार बढ़कर 686 हो गया है। कारण, बीते वर्षों में विभाग की ओर से अभयारण्य के संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। शिकारियों पर अंकुश लगाया गया है।

विंध्य पर्वत मालाओं की गोद में बसा चंद्रप्रभा अभयारण्य 96 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है। मीलों फैले जंगल में राजा को छोड़ अन्य प्रकार के वन्य जीवों की भरमार है। इनमें गुलदार यानि तेंदुआ, चिंकारा, घड़रोज, सांभर, भालू, सुअर, बंदर, लंगूर, मगर, भेड़िया, लकड़बग्घा, लोमड़ी, सियार आदि - वन्य जीव वन क्षेत्र में विचरण करते रहते हैं।

हालांकि हाल के वर्षों में वनों के दोहन के कारण वन्य जीवों के आहार में कमी आई है। शाकाहारी वन्य जीवों के लिए जंगल में फलदार वृक्षों में तेन, पियार, आंवला, बेर आदि की संख्या घटी है। बावजूद इसके वन्य जीव विपरीत परिस्थितियों में भी अपने को बचाए हुए हैं। इसमें राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में भी इजाफा हुआ है।

Chandraprabha sanctuary  increased

वर्ष 2016 की गणना में वन्य जीवों की संख्या

वर्ष 2016 में वन विभाग की ओर से कराई वन्य जीवों की गणना में गुलदार तेंदुआ 3, चिंकारा 123, घड़रोज 174, साभर 101, भालू 104, सुअर 266, बंदर 445, लंगूर 335, मगर 3, भेड़िया 3, लकड़बग्घा 55, लोमड़ी 102, सियार 175, मोर 150, शाही की संख्या 68 थी।

वर्ष 2022 की गणना में वन्य जीवों की संख्या

वन विभाग की ओर से 9 से 23 मई तक वन्य जीवों की गणना कराई गई थी। इसमें सुअर 1633, लंगूर 1919, मोर 686 के साथ बंदरों की संख्या 4560 है।

शिकारियों पर कार्रवाई
चंद्रप्रभा अभयारण्य में वन्य जीवों के शिकार पर हाल के वर्षों में अंकुश लगा है। विभाग की ओर से कार्रवाई होने के कारण शिकारियों में भय व्याप्त है। वन्य जीव सुरक्षित हुए हैं। वनों के किनारे स्थित बस्तियों के ग्रामीण पूर्व में जंगली सुअर, सामर, मोर आदि का शिकार करते थे लेकिन विभाग की ओर से कड़ी कार्रवाई करने व कर्मियों के वन क्षेत्र में भ्रमण करने के कारण शिकारियों के हौसले पस्त हुए हैं। ऐसे में वन क्षेत्र में भ्रमण करते मोर को आसानी से देखा जा सकता है।

इस संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर सचेत है। हाल के वर्षों में राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या बढ़ी है। आने वाले दिनों में इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद है।

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