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नौगढ़ को आकांक्षी ब्लॉक बनाने की तैयारी, जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग का नया प्लान

नौगढ़ के गांवों की हालत बेहद दर्दनाक है। बच्चे बिना कपड़ों के घूमते हैं, परिवार छप्पर की छतों के नीचे रहते हैं। गरीब की थाली में नमक-रोटी या चावल-नमक ही प्रमुख भोजन है।
 

जिलाधिकारी ने दिखायी है इलाके में दिलचस्पी

गांवों ने दिखा दी है विकास की असली हकीकत

नीति आयोग के मानकों पर होगी सुविधाओं व सेवाओं की पड़ताल

तभी केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव

चंदौली जिले में विकास की मुख्यधारा से कटे नौगढ़ के लिए अब उम्मीद की नई किरण जगी है। टूटी-फूटी सड़कें, अधूरी स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार की कमी से जूझते इस इलाके को आकांक्षी ब्लॉक का दर्जा दिलाने की कवायद तेज हो गई है। जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग ने  अधिकारियों से कहा है कि नीति आयोग द्वारा तय सभी पैरामीटर पर नौगढ़ का अध्ययन कराया जाएगा और तभी प्रस्ताव आयोग को भेजा जाएगा।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को नौगढ़ और चहनिया ब्लॉक की स्थिति की तुलना करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा—“नीति आयोग के तय मानकों पर नौगढ़ की पड़ताल की जाए, अगर यह खरा उतरे तो प्रस्ताव आगे बढ़ाया जाएगा।” इसी कड़ी में उन्होंने हाल ही में होरिला और मगरही गांव का निरीक्षण किया। वहां की जमीनी तस्वीर—सूखे हैंडपंप, नंगे पांव बच्चे, कच्चे मकान में रह रहे लोगों की हालत ने प्रशासन को भी झकझोर दिया।

बच्चों के तन पर कपड़े नहीं, थाली में नमक-रोटी 
आपको बता दें कि नौगढ़ के गांवों की हालत बेहद दर्दनाक है। बच्चे बिना कपड़ों के घूमते हैं, परिवार छप्पर की छतों के नीचे रहते हैं। गरीब की थाली में नमक-रोटी या चावल-नमक ही प्रमुख भोजन है। सब्जी और दूध तो यहां दुर्लभ हैं। कई घरों में महिलाएं बच्चों को सोयाबीन खिलाकर पेट भरने को मजबूर हैं।

प्रमुख प्रतिनिधि सुड्डू सिंह बोले 
ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सुजीत सिंह उर्फ सुड्डू ने कहा—“नौगढ़ को हमेशा विकास की दौड़ से दूर रखा गया है। अगर इसे आकांक्षी ब्लॉक का दर्जा मिला तो यह जनता के लिए सबसे बड़ी जीत होगी। तब स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं सीधे गांवों तक पहुंचेंगी।”

क्यों जरूरी है आकांक्षी ब्लॉक का दर्जा
खंड विकास अधिकारी अमित कुमार ने चंदौली समाचार को बताया कि नीति आयोग ने आकांक्षी ब्लॉक तय करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कृषि, आधारभूत संरचना और आजीविका जैसे पैरामीटर रखे हैं। नौगढ़ इन सभी पैमानों पर पिछड़ा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि दर्जा मिलने के बाद केंद्र और राज्य सरकार की विशेष योजनाएं सीधे यहां लागू होंगी और उपेक्षित गांवों की तस्वीर बदल सकेगी।

सवाल यह भी उठ रहा है कि जब नौगढ़ की हालत इतनी बदतर है, तो फिर चहनिया ब्लॉक को पहले आकांक्षी सूची में क्यों शामिल किया गया? क्या प्रशासनिक प्राथमिकताओं में नौगढ़ को हमेशा दरकिनार किया गया? अब जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नीति आयोग की कसौटी पर नौगढ़ कितना खरा उतरता है और प्रशासन इस बार कितनी गंभीरता दिखाता है।

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