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तय रकम दीजिए और घर बैठकर पूरी सैलरी लीजिए, बेसिक शिक्षा विभाग में ऐसा होता है खेल

बेसिक शिक्षा विभाग में एक मामला ऐसा सामने आया है, जिसको सुनकर विभाग के लोग ही दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। विभाग में कुछ लोगों द्वारा ऐसे भी कार्य किया जा रहे हैं, जिससे बच्चों के भविष्य को अंधकार में करने का कार्य किया जा रहा है।
 

नौगढ़ इलाके में जमकर हो रहा है ये खेल

घर बैठे कई अध्यापक पाते हैं पूरा वेतन

जांच के नाम पर ली जाती है महीने में मोटी रकम

अधिकारियों की जेब भरने के नाम पर होती है वसूली

चंदौली जिले की बेसिक शिक्षा विभाग में एक मामला ऐसा सामने आया है, जिसको सुनकर विभाग के लोग ही दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। विभाग में कुछ लोगों द्वारा ऐसे भी कार्य किया जा रहे हैं, जिससे बच्चों के भविष्य को अंधकार में करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं इस कार्य से शिक्षा विभाग के कई अधिकारी की जेब भी भरती जा रही है ।

 इसमें कुछ ऐसे प्रमाण चंदौली समाचार के पास मिले हैं,  जिसमें जांच के नाम पर अधिकारियों द्वारा मोटी रकम लेकर गायब रहने वाले अध्यापकों के मामले में लीपापोती कर दी जाती है और गायब रहकर पूरी तनख्वाह लेने की खुली छूट दी जा रही है।

बता दें कि यह मामला नौगढ़ ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय एवं कंपोजिट विद्यालयों के अध्यापकों से जुड़ा हुआ है। जिसमें अध्यापक द्वारा अपने अधिकारी को मोटी रकम देकर विद्यालय में ना आने तथा विद्यालय के रजिस्टर पर दूसरे द्वारा अटेंडेंस बनाने की मोहलत देते है। बड़े साहब के आदेश का उनके साथियों द्वारा पालन करना मजबूरी बन गया है।

 जैसा कि इस मामले में 18 अध्यापकों के खिलाफ पहले से भी जांच का मामला सामने आया था। जिसमें इन अध्यापकों पर आरोप है कि वे विद्यालय नहीं आते हैं और इसके एवज में वह अच्छी रकम  अधिकारियों को देकर अपना काम चलाते हैं और जब कभी जिले से गुप्त तरीके से जांच होती है तो उसे मामले में  अनुपस्थित पाए जाते हैं, लेकिन विभाग के अधिकारियों द्वारा उनसे भी एक बड़ी  रकम लेकर इन्हें दोष मुक्त कर दिया जाता है और कोई न कोई बहाना बना दिया जाता है। 

यही नहीं कुछ अध्यापक ऐसे भी हैं जो महीने में एक दो बार विद्यालय का दर्शन करके चले जाते हैं और महीने भर की वेतन लेकर मौज करते हैं। इस खेल में कुछ प्रधानाध्यापक भी शामिल हैं, जो कि विभाग की कार्य को भी घर बैठे पूर्ण लेते हैं। एमडीएम जैसे कार्य को अपने घर से ही पूरा करने का काम करते हैं। इसमें गांव के प्रधान वह अन्य अध्यापकों की भागीदारी होती है, जो बच्चों की उपस्थिति और अनुपस्थित दिखाकर रकम व अनाज की बंदरबांट करते हैं। उसके बदले मिलने वाले एमडीएम की रकम बराबर बराबर आपस में बांट ली जाती है।

अब ऐसे अध्यापकों की सूची पहले से ही अधिकारी के पास मौजूद है, जिनके खिलाफ कार्रवाई करने की जगह जांच करने के नाम पर वसूली करने का खेल जारी है। साथ ही इन्हें विद्यालय ना आने की छूट है। इसके एवज में मोटी रकम लेकर स्कूल न आने को कहा गया है। वैसे नित्य आने वाले अध्यापकों का दावा है कि हर ब्लॉक में कुछ ऐसे अध्यापक हैं जो अपने सेटिंग के बल पर घर बैठे ही वेतन लेने का कार्य कर रहे हैं।

अब देखना है कि इस मामले को नए बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा किस प्रकार हैंडल करते हैं या वे भी विभागीय लोगों से सेटिंग करके इस खेल में शामिल हो जाते हैं। अब देखना है कि पहले के मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होती है या वे भी रकम के बल पर कार्रवाई से बच जाते हैं।

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