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चकिया के नीरज गुप्ता ने भूटान में बजाया कराटे में भारत का डंका, थिंपू ओपन कराटे चैंपियनशिप में जीता गोल्ड

नीरज विभिन्न विद्यालयों में जाकर बच्चों को कराटे और ताइक्वांडो की निशुल्क या न्यूनतम शुल्क पर ट्रेनिंग देते हैं। उनके प्रशिक्षण से अब तक कई छात्र प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं।
 

थिंपू ओपन कराटे चैंपियनशिप में नीरज गुप्ता को स्वर्ण पदक

आर्थिक तंगी को नहीं बनने दिया बाधा, जीता अंतरराष्ट्रीय सम्मान

किया के जिम से भूटान के मंच तक का प्रेरक सफर

गोल्ड मेडल के साथ चकिया में जश्न का माहौल
 

चंदौली जिले के चकिया क्षेत्र के लिए यह सप्ताह गौरव और गर्व का रहा, जब स्थानीय कराटे खिलाड़ी नीरज गुप्ता ने भूटान की राजधानी थिंपू में आयोजित ओपन कराटे चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर देश का परचम लहराया। 21 से 25 जुलाई तक चले इस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में नीरज की इस शानदार उपलब्धि ने जिले के खेल प्रेमियों और युवाओं को प्रेरणा का नया संदेश दिया है।

Neeraj Gupta

आर्थिक तंगी, लेकिन हौसला बुलंद
आदर्श नगर पंचायत चकिया के वार्ड नंबर 5 निवासी नीरज गुप्ता की सफलता की कहानी आसान नहीं रही। सीमित संसाधनों और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। नीरज अपने ही घर में एक छोटा सा आर्यन जिम संचालित करते हैं और वहीं से उन्होंने कराटे और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग शुरू की।

Neeraj Gupta

बच्चों को बनाते हैं विजेता
नीरज विभिन्न विद्यालयों में जाकर बच्चों को कराटे और ताइक्वांडो की निशुल्क या न्यूनतम शुल्क पर ट्रेनिंग देते हैं। उनके प्रशिक्षण से अब तक कई छात्र प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं। नीरज की मेहनत और समर्पण ने उन्हें न सिर्फ एक उत्कृष्ट खिलाड़ी बल्कि समाज का मार्गदर्शक भी बना दिया है।

प्रशासनिक उपेक्षा से खिन्न
गोल्ड मेडल जीतने के बाद जहां क्षेत्रवासी खुशी से गदगद हैं, वहीं नीरज प्रशासनिक सहयोग न मिलने से मायूस भी हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार खिलाड़ियों को बुनियादी संसाधन और सहयोग दे तो छोटे शहरों से भी ओलंपियन निकल सकते हैं।

Neeraj Gupta

जिले को गर्व, लोग दे रहे बधाइयाँ
नीरज की जीत की खबर जैसे ही इलाके में फैली, उनके घर और जिम पर लोगों का तांता लग गया। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, स्कूल संचालकों, बच्चों के अभिभावकों और खेल प्रेमियों ने नीरज को बधाइयाँ दीं। वे अब चकिया तहसील ही नहीं, पूरे चंदौली जिले के लिए प्रेरणा और गौरव का प्रतीक बन गए हैं।

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