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चंदौली में नवागत जिला विद्यालय निरीक्षक और वित्त अधिकारी का वैदिक मंत्रों से सम्मान

जिला विद्यालय निरीक्षक श्री देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य में संस्कृत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, अपितु हमारी सांस्कृतिक चेतना की आत्मा है।
 

 संस्कृत शिक्षकों ने किया शानदार तरीके से अभिनंदन

संस्कृत के उत्थान में शिक्षक-अधिकारी सहयोग पर दिया गया बल

वैदिक मंत्रोच्चारण के द्वारा दोनों अफसरों का सम्मान

चंदौली जिले में संस्कृत भाषा और शिक्षा को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक गरिमामयी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत शिक्षकों ने नवागत जिला विद्यालय निरीक्षक  देवेंद्र प्रताप सिंह एवं वित्त लेखा अधिकारी आकाश पांडे का वैदिक रीति से स्वागत किया। यह आयोजन जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें जिले भर के संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षकगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

Newly appointed DIOS

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण से हुई, जिसके साथ ही अतिथियों को स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों ने वैदिक रीति-रिवाजों के अनुरूप पूरे आयोजन को परंपरागत वातावरण में सम्पन्न कराया, जिससे पूरे परिसर में आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ।

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जिला विद्यालय निरीक्षक श्री देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने वक्तव्य में संस्कृत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, "संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, अपितु हमारी सांस्कृतिक चेतना की आत्मा है। इसे संरक्षित और समृद्ध करने का दायित्व आज के शिक्षकों पर है। यदि हम संस्कृत को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना चाहते हैं, तो हमें आधुनिकता के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों को भी साथ लेकर चलना होगा।"

उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि संस्कृत शिक्षकों को आवश्यक शैक्षिक एवं भौतिक संसाधनों की पूर्ति के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा, ताकि वे अपने शिक्षण कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकें।

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वित्त लेखा अधिकारी आकाश पांडे ने संस्कृत शिक्षकों द्वारा दिए गए सम्मान को अविस्मरणीय बताया और कहा कि इस आत्मीयता ने उन्हें भावुक कर दिया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि संस्कृत शिक्षा को मजबूत बनाने हेतु वे हर प्रकार का वित्तीय और प्रशासनिक सहयोग देने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, "संस्कृत का पुनर्जागरण केवल नीतियों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर समर्पित कार्यों से संभव होगा।"

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कार्यक्रम में विभिन्न संस्कृत शिक्षण संस्थानों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि संस्कृत विद्यालयों को भी अन्य विषयों के समकक्ष संसाधन और अवसर उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही यह विश्वास जताया कि प्रशासनिक सहयोग से संस्कृत शिक्षा को एक नई दिशा मिलेगी।

इस सम्मान समारोह में प्रमुख रूप से प्राचार्य शिवनारायण तिवारी, अजय श्याम तिवारी, अतुल रतन मिश्रा, विशाल पांडे, चंद्रकांत द्विवेदी, शुभम पांडे, ऋषिकेश मिश्रा, राम मोहन मिश्रा और श्रेयांश ओझा जैसे संस्कृत शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने न केवल संस्कृत शिक्षकों में आत्मविश्वास का संचार किया, बल्कि जनपद में संस्कृत शिक्षा के नव जागरण की संभावनाओं को भी प्रबल किया।

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