मिल्कीपुर में बंदरगाह परियोजना को लेकर नहीं बनी सहमति, खाली हाथ लौटे अधिकारी

मुगलसराय विधानसभा के मिल्कीपुर में बंदरगाह परियोजना
प्रशासन बोला- केन्द्र सरकार हर हाल में लेगी जमीन
अधिग्रहण के लिए किसानों की सहमति जरूरी नहीं
जमीन अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों का विरोध जारी
चंदौली जनपद के मुगलसराय तहसील अंतर्गत मिल्कीपुर गांव में प्रस्तावित बंदरगाह और फ्रेट विलेज परियोजना को लेकर शुक्रवार को प्रशासन और ग्रामीणों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर उप जिलाधिकारी मुगलसराय, तहसीलदार, बंदरगाह प्राधिकरण की टीम और अन्य प्रशासनिक अधिकारी गांव पहुंचे, जहां उन्होंने ग्रामीणों से वार्ता की।

उप जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह केंद्र सरकार की परियोजना है और इसके लिए किसी भी भूमि स्वामी की सहमति आवश्यक नहीं है। भूमि का सीधा अधिग्रहण किया जाएगा। इस बयान के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। उन्होंने एक स्वर में विरोध जताते हुए कहा कि वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि “जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे।”

वार्ता का कोई समाधान नहीं निकल सका और प्रशासन को ग्रामीणों की असहमति के चलते खाली हाथ लौटना पड़ा। इस मौके पर समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व प्रत्याशी चंद्रशेखर यादव, मुगलसराय महासचिव सुदामा यादव, पूर्व खादी ग्रामोद्योग सदस्य संतोष यादव, प्रदीप यादव, रामेश्वर यादव, अजीत यादव और बाबू जय यादव भी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों के साथ एकजुटता दिखाई।
गौरतलब है कि 28 जून को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर के ग्रामीणों से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि गंगा में पानी नहीं है और यह बंदरगाह परियोजना पूरी तरह से विफल है। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को गांव भेजने की घोषणा की थी।
आज की वार्ता में गांव के ईशान मिल्की, वीरेंद्र साहनी, डब्लू साहनी, आस मोहम्मद, अखिलेश सिंह, विनय मौर्य, चंद्र प्रकाश मौर्य, नासिर दा, कोसर भाई, नफीस मिल्की, सुरेश कुमार, कन्हैया राव, सुजीत भारती, भाईराम साहनी, अरविंद सिंह, ताजुद्दीन, जमील अहमद, विमला देवी, छाया देवी सहित सैकड़ों ग्रामीण महिलाएं और पुरुष उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने एकजुट होकर परियोजना का विरोध जारी रखने की चेतावनी दी है।
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