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गजब है हाल : इस पुलिस चौकी में नहीं है पीने का पानी, पैसे देकर सिपाही बुझा रहे हैं प्यास

 

 चंदौली जिले के  नक्सल इलाके में तैनात पुलिस के जवान पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं। औरवाटांड में दो कमरे की चौकी में एक दरोगा और पांच- छह के अलावा पीएसी बल के जवान भी ड्यूटी करते हैं। कोरोना वॉरियर्स के रूप में यहां के जनता के लिए मददगार बनी पुलिस हमेशा संघर्षरत रही है।

आपको बता दें कि जनता को  थाना पुलिस चौकी आने में परेशानी न हो, इसके लिए अधिकारियों ने आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए जवान तैनात कर दिए, जिसकी हर कोई प्रशंसा करता है। लेकिन जवानों को मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। लॉकडाउन में जिस तरह पुलिस ने लोगों की मदद की और भूखों को खाना खिलाया, उससे हर कोई पुलिस के नये चेहरे से अचंभित था। हमेशा पुलिस के लिए उल्टी सोच रखने वालों की यह देख सोच बदल गई। 


नौगढ़ में चंदौली समाचार ने बिहार के सरहद पर स्थापित  पुलिस चौकी औरवाटाड़ और उसके भीतर पीएसी कैंप की पड़ताल किया तो पता चला कि  यहां पुलिस और तैनात  आजमगढ़ पीएसी वाहिनी 20 (A) के जवानों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है। पुलिस चौकी में एक दरोगा और पांच-छह सिपाही तैनात थे, जो एक कमरे में बैठकर ड्यूटी कर रहे थे। चौकी के प्रभारी अलख नारायण का कहना था कि वे लोग रात भी इसी एक कमरे में काटते हैं। उनका कहना था कि जनता को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए वे हर परेशानी से लड़ने को तैयार हैं। 

600 आबादी वाले गांव और पुलिस चौकी में पानी देने के लिए बनाई गई टंकी का मोटर 1 महीने से जला हुआ है, बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए मोटर बनाने के लिए भेजा गया है। मजबूरन जवानों को नौगढ़ बांध का खारा पानी उबालकर पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। गांव के लोग पानी के उपयोग से तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं।


तबादला या कार्रवाई की धमकी दे जाते हैं लोग

पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस विभाग तो सिर्फ एक कठपुतली बनकर रह गया है। जिसके मन करता है वह तबादला या अन्य कार्रवाई कराने की धमकी दे जाता है। हर कोई आजकल ऊपर तक पहुंच रखने की बात करता है। कई बार ऐसा होता है, जब पुलिस ईमानदारी से काम करती है तो कोई न कोई नेता आकर कार्य में व्यवधान डाल जाता है। अगर अधिकारी ने नेता का कहना मान लिया तो बेकसूर पर कार्रवाई हो जाती है, अगर नहीं मानता है तो पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई होनी निश्चित है। इसलिए पुलिस सिर्फ कार्रवाई के नाम पर कठपुतली बनकर रह गई है।

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