अब एल्यूमिनियम नहीं स्टील के बर्तनों में पकेगा बच्चों का खाना, ऐसी है तैयारी
परिषदीय विद्यालयों में मिड डे मील
अब स्टील के बर्तनों का होगा इस्तेमाल
नये स्तर पर हो रही है तैयारी
चंदौली जिले के परिषदीय विद्यालयों में मध्याह्न भोजन पकाने के लिए अब स्टील के बर्तन इस्तेमाल किए जाएंगे। एल्युमिनियम के बर्तनों से बच्चों के स्वास्थ्य के नुकसान के खतरे को देखते हुए विभाग ने नई व्यवस्था लागू करने का निर्देश जारी किया है।
जनपद में कुल 1185 परिषदीय विद्यालयों में 705 प्राथमिक, 203 उच्च प्राथमिक और 277 कंपोजिट स्कूल हैं। इनमें करीब ढाई लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना के तहत बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है। भोजन का प्रतिदिन का मेन्यू निर्धारित है।
इसी मेन्यू के हिसाब से प्रतिदिन भोजन दिया जाता है। भोजन पकाने में एल्युमिनियम के बर्तन का प्रयोग किया जा रहा है। इस बर्तन में भोजन पकाने की अवधि और तापमान का ध्यान न रखने से भोजन के खराब व हानिकारक होने का खतरा बढ़ जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए अब विद्यालयों में भोजन पकाने के लिए इनका इस्तेमाल नहीं करने की योजना पर काम किया जा रहा है।
चिकित्सक डॉ. शैलेंद्र कुमार और फिजिशियन डॉ. राजेश सिंह का कहना है कि एल्युमिनियम के बर्तन में पका खाना जब खाते हैं तो वह हमारे शरीर से आयरन और कैल्शियम जैसे तत्वों को सोख लेता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसका असर बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
वहीं इस बारे में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र सिंह का कहना है कि मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की निदेशक ने निर्देश दिया है कि एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना न पकाया जाए। अब मध्याह्न भोजन के लिए स्टील के बर्तन खरीदे जाएंगे। जल्द ही इस योजना पर अमल किया जाने वाला है।
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