आईआईटी और आईआईएम में पढ़ेंगे पंचायतकर्मी, सीखेंगे विकास के तौर तरीके
पंचायतीराज मंत्रालय की महत्वपूर्ण पहल
योजनाओं के क्रियान्वयन को तेज करने की कोशिश
कर्मियों की क्षमता विकास के लिए प्रति अभ्यर्थी दस लाख खर्च करेगी सरकार
आत्मनिर्भर भारत के लिए गांवों के चहुंमुखी विकास का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो संकल्प लिया है, उसकी सिद्धि के लिए पंचायतीराज मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र और राज्य स्तर पर बनने वाली विकास व कल्याणकारी योजनाओं का गांव स्तर पर क्रियान्वयन हो सके, इसके लिए पंचायत कर्मियों को सक्षम- दक्ष बनाने का निर्णय लिया गया है। सामान्य सरकारी प्रशिक्षणों के इतर संभवतः यह पहली बार होने जा रहा है कि पंचायतीराज विभाग के कार्मिकों को आइआइटी और आइआइएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में ग्रामीण विकास, नेतृत्व क्षमता सहित अन्य संबंधित विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति अभ्यर्थी दस लाख रुपये तक खर्च करेगी।
आपको बता दें कि पंचायतीराज मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान में दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण के वित्त पोषण की उप योजना शामिल की है। इस योजना के तहत पंचायत कार्यकारी अधिकारी, पंचायत विकास अधिकारी, पंचायत सचिव या समानांतर पद के कार्मिक, खंड विकास अधिकारी, खंड पंचायतीराज अधिकारी, खंड पंचायत विकास अधिकारी सहित समानांतर पदाधिकारी के अलावा पंचायतीराज निदेशालय में विभिन्न पदों पर काम करने वाले पदाधिकारियों, जिला, ब्लाक व ग्राम पंचायत स्तर पर काम करने वाले जेई या उससे ऊपर के अभियंताओं को दक्ष बनाया जाना है।
बताते चलें कि सरकार ने तय किया है कि इन कार्मिकों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित उन आइआइटी, आइआइएम या अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में एक वर्षीय पाठ्यक्रम कराया जाएगा, जिन्हें सरकार ने सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में चिन्हित किया हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत आने वाले ओवरआल कैटेगरी के शीर्ष 50 संस्थान, मैनेजमेंट कैटेगरी, ला कैटेगरी और एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेक्टर के शीर्ष 25-25 संस्थानों में भी प्रवेश लिया जा सकता है। सरकार ने एक वर्ष की पढ़ाई के लिए सात श्रेणियां निर्धारित की हैं।
अलग-अलग श्रेणियां
प्रतिवर्ष अभ्यर्थियों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए अधिकतम सीमा भी निर्धारित की है। इसके तहत केंद्र शासित प्रदेशों, गोवा के पांच-पांच, पूर्वोत्तर के राज्यों सहित हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के दस-दस तो बाकी राज्यों के 20-20 अभ्यर्थियों की पढ़ाई का प्रतिवर्ष खर्च सरकार उठाएगी।
कार्मिकों की पात्रता के लिए शर्ते
1. विभाग में कार्मिक की सेवा सात वर्ष या उससे अधिक हो चुकी हो।
2. सेवा रिकार्ड साफ-सुधरा हो। आवेदक के विरुद्ध कोई भी अनुशासनात्मक या आपराधिक कार्रवाई न चल रही हो।
3. पांच वर्ष की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में कम से कम 'वेरी गुड' की ग्रेडिंग हो।
4. आवेदन के समय आयु सीमा पचास वर्ष से अधिक न हो।
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