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टाइम व सुविधा पैसेंजर की..किराया ले रहे एक्सप्रेस का, वाह रे मोदी सरकार की रेल

देशभर में रेलवे ने कई पेसेंजर ट्रेनों को तो गिनाने के लिए एक्सप्रेस ट्रेनों में तब्दील कर दिया है और उसके कारण उसमें यात्रा करने के लिए अधिक किराया भी लिया जाने लगा है, लेकिन उनमें कोई ऐसी सुविधा नहीं दी जाती जिससे ये लगे कि आप एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं।
 

पैसेंजर व एक्सप्रेस के चक्कर में परेशान होते हैं यात्री

रेलवे की मनमानी से ठगे जा रहे यात्री

पीआरओ बोले- सब कुछ उपर से होता है फिक्स

जानिए गया व पटना लाइन की ट्रेनों का हाल

देशभर में रेलवे ने कई पेसेंजर ट्रेनों को तो गिनाने के लिए एक्सप्रेस ट्रेनों में तब्दील कर दिया है और उसके कारण उसमें यात्रा करने के लिए अधिक किराया भी लिया जाने लगा है, लेकिन उनमें कोई ऐसी सुविधा नहीं दी जाती जिससे ये लगे कि आप एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं। बस नाम बदलकर पैसेंजर वाली सुविधाओं को जारी रखा गया है, लेकिन किराया दोगुना हो गया है। रेलवे की इस नजरंदाजी का खामियाजा अक्सर उसमें यात्रा करने वाले लोग भुगत रहे हैं।

हर स्टेशन पर रुकने वाली ट्रेन को लोग पैसेंजर समझते हैं। ऐसे में अक्सर लोग पैसेंजर समझकर उसका टिकट कटाकर बैठ जाते हैं। बाद में टीटी यह कहकर पैसे वसूलने लगता है कि यह पैसेंजर नहीं एक्सप्रेस ट्रेन है। अक्सर ही किराए को लेकर विवाद होता है। टिकट होते हुए भी यात्रियों को जुर्माना देना पड़ता है।

कोरोना काल में रेलवे ने सभी ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया था। बाद में ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाने की शुरूआत की गई। यही नहीं दौ सौ किमी से अधिक की दूरी तय करने वाली पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस में तब्दील कर दिया। पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर से गया और पटना जाने वाली 12 से अधिक पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस के रूप में तब्दील कर दिया। हालांकि ट्रेन का न तो नाम बदला, न ही कोई डिजाइन बदला और न ही कोई सुविधा बढ़ी।

ट्रेन का स्टापेज और गंतव्य तक पहुंचने का समय भी उतना ही रहा। बस किराया पैसेंजर के स्थान पर एक्सप्रेस का लिया जाने लगा। कुछ ऐसी भी पैसेंजर ट्रेनें हैं जो चलती तो दो सौ किमी से अधिक दूरी है लेकिन इसे दो भाग में बांट कर चलाया जाता है। इसका किराया पैसेंजर ट्रेन का होता है। इसी में यात्री दुविधा में पड़ जाते हैं।


 पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से प्रतिदिन चार बजे भोर में गया के लिए मेमू स्पेशल ट्रेन खुलती है। इसका किराया पीडीडीयू से गया तक के लिए 45 रुपये है। इसके डेढ़ घंटे बाद आसनसोल वाराणसी मेमू एक्सप्रेस गया के लिए खुलती है। इसका किराया 80 रुपये है। दोनों ट्रेनों का ठहराव एक ही है। यदि पीडीडीयू से डेहरी ऑन सोन तक जाना हो तो सुबह चार बजे खुलने वाली गया मेमू का किराया तीस रूपये, साढ़े पांच बजे खुलने वाली आसनसोल मेमू का किराया साठ रूपये और 08.10 बजे खुलने वाली बरकाकाना मेमू का किराया तीस रुपये है। वहीं शाम साढ़े तीन बजे गया के लिए मेमू ट्रेन खुलती है लेकिन इसका नाम डेहरी ऑनसोन मेमू स्पेशल है, वहीं डेहरी से गया के लिए यह ट्रेन जब खुलती है तो इसका नाम डेहरी गया मेमू स्पेशल हो जाता है।

इस बारे में जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार अपनी मजबूरी बताते हुए कहते हैं कि टिकट खिड़की पर यात्रियों को बताकर टिकट दिया जाता है। यही नहीं एनाउंस भी किया जाता है, यह ट्रेन एक्सप्रेस है अथवा पैसेंजर। ऐसे में विवाद की स्थिति नहीं होती है। ठहराव और किराए का निर्धारण ऊपर से होता है। जिसमें फिलहाल किसी परिवर्तन की उम्मीद नहीं है।

 

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