पावर कारपोरेशन ने लिया बड़ा फैसला, अधिशासी अभियंताओं से बिजली चोरी के अंतिम असेसमेंट में संशोधन का अधिकार वापस
चंदौली जिले में पावर कारपोरेशन ने बड़ा फैसला लेते हुए अधिशासी अभियंताओं से बिजली चोरी के अंतिम असेसमेंट (अंतिम मूल्यांकन) में संशोधन का अधिकार वापस ले लिया है। नई व्यवस्था के मुताबिक अब असेसमेंट में बदलाव की जिम्मेदारी निदेशक (वित्त) और (वाणिज्य) की होगी। इस बाबत कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार की ओर से निर्देश जारी किया गया है।
नई व्यवस्था के लागू हो जाने से असेसमेंट बनाने के बाद उसमें कमी के खेल की शिकायत भी लगभग दूर हो जाएगी। इस निर्णय से असेसमेंट बाबू (लिपिक) को भी बड़ा झटका लगा है, उनसे अब दूसरे कार्य लिए जाएंगे। निर्देश के मुताबिक अब बिजली चोरी के मामले में असेसमेंट अधिशासी अभियंता एक बार ही बनाएंगे। उपभोक्ता के चैलेंज करने पर वह इसमें कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे।
दो लाख तक के राजस्व निर्धारण का प्रकरण अधिशासी अभियंता की ओर से मुख्य अभियंता को बदलाव के लिए भेजा जाएगा। उसमें निदेशक वित्त व निदेशक वाणिज्य डिस्काम की सहमति से ही बदलाव किया जाएगा। दो लाख से ऊपर के राजस्व निर्धारण के मामले में संबंधित अधिशासी अभियंता कार्यालय की ओर से मुख्य अभियंता के माध्यम से प्रबंध निदेशक के स्तर पर ही कोई बदलाव किया जा सकेगा। साथ ही गलत असेसमेंट तैयार करने वाले अभियंताओं पर विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।
नई व्यवस्था से अधिशासी अभियंताओं के दफ्तर के बाहर लगने वाला दलालों का जमघट भी खत्म हो जाएगा। बिजली चोरी के मामले में जब अधिशासी अभियंता के स्तर से असेसमेंट तैयार कर उपभोक्ता के घर पहुंचता है तो दलालों की ओर से उन्हें कम कराने का लुभावना आफर दिया जाता है। ऐसे में अधिशासी अभियंताओं की मिलीभगत से असेसमेंट कम भी कर दिया जाता था। इस तरह की कई शिकायतें ऊर्जा निगम को मिल रही थीं।
अधीक्षण अभियंता संदीप सिंह कुशवाहा के अनुसार, बिजली चोरी के प्रकरण में बनने वाले असेसमेंट में अब स्थानीय अधिकारी बदलाव नहीं कर सकेंगे। असेसमेंट सही और सटीक तैयार करना होगा, यदि इसमें गड़बड़ी मिली तो प्रबंध निदेशक ही इसमें बदलाव करेंगे।
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