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कटियाबाजी में प्रयागराज 'टॉप', जानिए कहां है अपना चंदौली जिला

विभाग पर मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं वसूली की प्रक्रिया लचर बनी हुई है। विजिलेंस और अभियंताओं के बीच समन्वय की कमी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है।
 

पूर्वांचल डिस्कॉम में 3 साल में 96 हजार से अधिक मुकदमे

वसूली में भी हो रही है भारी परेशानी

21 जिलों का आया है आंकड़ा

जानिए चंदौली और आसपास के जिलों का हाल

पूर्वांचल डिस्कॉम से जुड़े 21 जिलों में बिजली चोरी के मामलों में प्रयागराज सबसे आगे है। पिछले तीन वर्षों में यहां बिजली चोरी के 24,420 मामले दर्ज किए गए हैं। दूसरे नंबर पर आजमगढ़ (10,835) और तीसरे स्थान पर गाजीपुर (9,141) है। इन आंकड़ों ने विभागीय अधिकारियों को भी चिंता में डाल दिया है। वहीं चंदौली जिला भी टॉप 10 में दिखायी दे रहा है। यहां के मामले साढ़े 3 हजार से अधिक हैं। 

कहां कितने केस दर्ज
पूर्वांचल डिस्कॉम में वर्ष 2021 से अब तक कुल 96,462 बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन जिलों में सर्वाधिक मुकदमे प्रयागराज, आजमगढ़, गाजीपुर, वाराणसी (4,645), जौनपुर (4,981), चंदौली (3,652), बलिया (6,673), गोरखपुर (2,095) और बस्ती (2,752) में दर्ज हुए हैं।

विजिलेंस को नहीं दी जा रही जानकारी
अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर ने बताया कि बिजली चोरी की विस्तृत जानकारी विजिलेंस विभाग को नहीं दी जा रही है, जिससे वसूली में दिक्कतें आ रही हैं। कई बार इस संबंध में जानकारी मांगी जा चुकी है, लेकिन विभागीय सहयोग नहीं मिल रहा।

असेसमेंट में भी लापरवाही, उपभोक्ता परेशान
बिजली चोरी के मामलों में अभियंताओं द्वारा तैयार किए गए असेसमेंट (आकलन) में भारी गड़बड़ी की बात सामने आई है। हजारों रुपये की चोरी को लाखों में दिखा दिया गया, जिससे उपभोक्ताओं को भारी परेशानी हो रही है। अधीक्षण अभियंताओं ने इस पर सवाल उठाते हुए सुधार के निर्देश भी जारी किए हैं, लेकिन राहत नहीं मिल रही। उपभोक्ता अधिशासी अभियंता कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, फिर भी सुनवाई नहीं हो रही।

मुकदमों का बोझ और वसूली की चुनौती
विभाग पर मुकदमों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं वसूली की प्रक्रिया लचर बनी हुई है। विजिलेंस और अभियंताओं के बीच समन्वय की कमी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है। पूर्वांचल में बिजली चोरी के मामले न केवल तेजी से बढ़ रहे हैं बल्कि इससे जुड़ी प्रशासनिक लापरवाही भी उजागर हो रही है। यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया तो वसूली और न्यायिक प्रक्रिया दोनों ही प्रभावित होंगी।

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