निजी अस्पतालों को योगी सरकार का तोहफा, अब हर साल नहीं लगाना होगा CMO ऑफिस का चक्कर
अस्पतालों को हर साल रेन्यूवल नीति में बदलाव
हर साल पंजीकरण कराने के झंझट से मिलेगी राहत
अब डीएम साहब जारी करेंगे 5 साल का लाइसेंस
चंदौली जिले समेत राज्यभर कर सभी अस्पतालों को अब एक राहत देने का फैसला किया है। राज्य में अब 50 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को पांच साल के लिए लाइसेंस मिलेगा। उन्हें हर साल नवीनीकरण भी नहीं कराना होगा। नए नियम के तहत यह व्यवस्था लागू हुई है। वहीं अहम बात यह है बेड की क्षमता के हिसाब से फीस भी तय हुई है। शासन से इसका आदेश भी जारी हुआ है। डीएम के जरिए पांच साल का लाइसेंस जारी किया जाएगा। ये व्यवस्था नए वित्तीय से लागू होने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि प्रदेश में क्लीनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट अप्रैल 2022 से लागू हुआ है। इसके दायरे में अभी तक बड़े अस्पताल आते थे, जिन्हें पांच साल का लाइसेंस देने का प्रावधान है। शासन के सचिव रंजन कुमार ने 50 बेड से कम वाले अस्पतालों को भी पांच साल का लाइसेंस जारी करने का आदेश जारी किया है। इसमें उन्हें हर साल नवीनीकरण भी नहीं कराना होगा। हालांकि नए एक्ट में कई नियमों को सख्त किया गया है। ऐसी दशा में मानक पूरे न होने पर अस्पताल का लाइसेंस जारी नहीं होगा। प्रदेश के सभी सीएमओ व डीएम को आदेश की कॉपी भेजी गई है। इसका सख्ती से अनुपालन कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
विभागीय अफसरों के मुताबिक कहा जा रहा है अब नए एक्ट के तहत निजी अस्पतालों को लाकर उन्हें पांच साल का लाइसेंस जारी किया जाएगा। ताकि हर साल विभाग के चक्कर लगाने से बच जाएं और छोटी-छोटी बातों के लिए अस्पताल संचालकों को परेशान न होना पड़े।
बेड की संख्या, डॉक्टर व स्टॉफ का रिकार्ड करना होगा डिसप्ले
एक्ट के तहत अब निजी अस्पतालों को अब पंजीकरण नंबर, संचालक का नाम, बेड की संख्या, औषधि की पद्वति, इलाज की सुविधाएं, डॉक्टर व स्टॉफ का नाम डिसप्ले बोर्ड पर बाहर लगाना होगा। ऐसा न करने पर पंजीकरण रद्द हो जाएगा।
आपने देखा होगा कि अभी तक निजी अस्पताल आधी अधूरी जानकारी डिसप्ले बोर्ड पर लगाकर मरीजों को गुमराह करते थे। अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधाएं न होने बाद भी मरीजों का इलाज करके उनकी सेहत से खिलवाड़ होता था।
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