मिल्कीपुर गांव वालों का खुला ऐलान : जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे
मुगलसराय विधानसभा के मिल्कीपुर में जमीन अधिग्रहण
सरकारी फरमान के खिलाफ किसानों ने भरी बड़ी हुंकार
किसानों का एक तरफा ऐलान- जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं
चंदौली जिले के नियामताबाद विकास खंड के मिल्कीपुर गांव में मंगलवार की देर शाम ग्रामीणों ने बंदरगाह विस्तार परियोजना के विरोध में चौपाल का आयोजन करके इस बात का साफ-साफ ऐलान कर दिया गया है कि सरकार की मनमानी गांव में नहीं चलेगी। इसीलिए किसानों ने कहा कि हम लोग अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जमीन किसी कीमत पर नहीं देंगे।
मंगलवार की चौपाल में बड़ी संख्या में एकत्र किसानों और ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और साफ शब्दों में कहा कि वे अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। ग्रामीणों ने चेताया कि बिना सहमति के जमीन का अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा और यदि प्रशासन ने जबरदस्ती की तो उसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। चाहे इसके लिए जान ही क्यों न देनी पड़े।
ग्रामीणों ने कहा कि उनकी आजीविका पूरी तरह जमीन पर निर्भर है और जमीन हाथ से गई तो उनका जीवन भी संकट में पड़ जाएगा। उन्होंने दो टूक कहा कि वे जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन बिना किसी विधिक प्रक्रिया और सहमति के जबरन जमीन कब्जा करने का प्रयास कर रहा है। बीते 21 मई को एसडीएम अनुपम मिश्र के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम भारी पुलिस बल के साथ गांव में पहुंची थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा।
इस कार्रवाई से गांवों में प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों ने इसे तानाशाही रवैया करार देते हुए कहा कि वे किसी भी हाल में अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे। उनका कहना है कि जब तक उचित प्रक्रिया के तहत संवाद नहीं होगा और लिखित सहमति नहीं ली जाएगी, तब तक जमीन अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा।
चौपाल में किसान मजदूर संघ से जुड़े लोग भी शामिल हुए और एक स्वर में प्रशासनिक दबाव का विरोध किया। इस मौके पर ईशान मिल्की, अखिलेश सिंह, विनय मौर्य, चंद्रप्रकाश मौर्य, विद्याधर, नफीस बानो, भाईराम साहनी, नासिर जमाल, वीरेंद्र साहनी, डब्लू साहनी, सुरेश कुमार सहित कई ग्रामीण मौजूद रहे।
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