ग्रामीणों ने एकबार फिर से किया ऐलान : किसी भी कीमत पर नहीं देंगे बंदरगाह के लिए जमीन, चाहे जान ही क्यों न देनी पड़े
भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज़
इन गांवों के लोगों ने किया है ऐलान
माझी समाज की आबादी कर रही है अपने हक व अधिकार के लिए प्रदर्शन
चंदौली जिले के मिल्कीपुर, ताहिरपुर, रसूलागंज और छोटा मिर्ज़ापुर गांवों में बंदरगाह विस्तारीकरण और फ्रेट विलेज परियोजना के तहत हो रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज़ होता जा रहा है। रविवार को ग्रामीणों ने एक जन पंचायत आयोजित कर एक स्वर में इसका जोरदार विरोध दर्ज कराया।

ग्रामीणों का कहना है कि इन गांवों की 60% आबादी माझी समाज से ताल्लुक रखती है जिनकी आजीविका मछली पालन और नाव संचालन पर आधारित है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि अगर उन्हें उनकी जमीन और बसे-बसाए घरों से उजाड़ा गया, तो उनका पूरा परिवार भुखमरी और दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाएगा।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम अपनी जमीन किसी कीमत पर बंदरगाह और फ्रेट विलेज के लिए नहीं देंगे। चाहे इसके लिए हमें अपनी जान भी क्यों न देनी पड़े। ग्रामीणों ने सरकार से इस परियोजना को तत्काल रद्द करने की मांग की और कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

इस विरोध प्रदर्शन और जन पंचायत में प्रमुख रूप से ईशान मिल्की, वीरेंद्र साहनी, सुरेश कुमार, नीतीश साहनी, दीपक साहनी, आस मोहम्मद, लक्ष्मण प्रसाद साहनी, विद्याधर जी, अखिलेश सिंह, मोहम्मद फतेह, जावेद इकबाल, चंद्र प्रकाश मौर्या, विनय मौर्या, शिवम् साहनी, मनोहर साहनी, बबलू साहनी, ओमकार, शोभनाथ, रामनाथ, बाबू, अरुण, महेंद्र, सुनील, राजू, लक्कड़, चट्टन, राजकुमार, गुलाब, प्रभु साहनी, गोपाल सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल रहे।

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