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मुख्यमंत्री के फरमान के बाद चंदौली में 19 मई से मिलावटखोरों के खिलाफ स्पेशल अभियान, सबसे पहले यहां पड़ेगा छापा ​​​​​​​

 मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट व नकली दवाओं के कारोबार को सामाजिक अपराध करार देते हुए इसे जन स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय बताया है।
 

खाद्य सुरक्षा विभाग ने बनाई 3 सदस्यीय टीम

19 मई से पूरे जनपद में पड़ेंगे ताबड़तोड़ छापे

 मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों की तस्वीरें के लगेंगे बड़े-बड़े पोस्टर

दोषियों के खिलाफ एडीएम और सीजीएम कोर्ट में दर्ज होंगे मुकदमे

 मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट व नकली दवाओं के कारोबार को सामाजिक अपराध करार देते हुए इसे जन स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय बताया है। साथ ही मिलावट खोरों को चिन्हित कर उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाने का निर्देश दिया है, ताकि आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो सके। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग पूरी तरह से सक्रिय हो गया है।

आपको बता दें कि विभाग ने पूरे जनपद में मिलावटखोरी के खिलाफ अभियान चलाने का निर्णय लिया है। तीन सदस्यीय टीम का गठन कर लिया गया है। 19 मई से पूरे जनपद में मिलावटीखोरी के खिलाफ अभियान चलाकर खाद्य पदार्थों के नमूने एकत्रित कर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजी जाएगी। अगर मिलावाट पाया गया तो दोषी के खिलाफ एडीएम व सीजीएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। इसकी तैयारी विभाग ने कर ली है। हालांकि त्योहार के दौरान विभाग की सक्रियता देखने को मिलती है, लेकिन आम दिनों में सक्रिय अभियान नहीं चलने के कारण मिलावटखोर बगैर किसी डर के इस जघन्य कुकृत्य को अंजाम देते हैं, जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर होता है।

वैसे खाद्य सुरक्षा विभाग मानव संसाधन की कमी से भी जूझ रहा है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी के स्वीकृत पांच पद के अनुरूप दो रिक्त चल रहा है। बीते वित्तीय वर्ष 2024-25 में विभाग की ओर से दूध, खोआ, पनीर, मिठाईयां, घी सहित अन्य खाद्य पदार्थों के कुल 206 नमूने संकलित कर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया था। इसमें 170 की जांच रिपोर्ट विभाग को प्राप्त हुई है। जांच रिपोर्ट में 70 नमूने फेल पाए गए हैं। इनके खिलाफ सीजीएम व अपर जिलाधिकारी कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है, ताकि मिलावट खोरों के खिलाफ कार्रवाई हो सके। जनपद में कुल 4500 छोटी दुकानों का पंजीकरण किया गया है। जिनका टर्न ओवर 12 लाख से अधिक है। ऐसी कुल 965 दुकानों को लाइसेंस दिया गया है। वहीं शासन की ओर से एक माह में 75 दुकानों की जांच का निर्देश है।

सावधानी व जागरूकता बेहद जरूरी

सीएचसी चिकित्सक डा. संजय यादव ने कहा कि मिलावटी खाद्य पदार्थों से बचने के लिए सर्वप्रथम सावधानी व जागरूकता बहुत जरूरी है। मिलावटी खाद्य पदार्थों के प्रयोग से स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। मिलावट वाले खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायन व विषाक्त पदार्थ हो सकते हैं। जो स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। भोजन विषाक्त हो सकता है। जिससे उल्टी, दस्त व पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इनके सेवन से पाचन समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि एसिडिटी, गैस और पेट दर्द। कुछ ऐसे रसायन तत्व होते हैं, जो एलर्जी व अस्थमा को बढ़ावा दे सकते हैं। मिलावटी खाद्य पदार्थों में मौजूद कुछ तत्वों से सिर दर्द, चक्कर व याददाश्त में कमी जैसी शिकायतें हो जाती हैं। वहीं इनके दीर्घकालिक सेवन से कैंसर, मधुमेह व हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में आवश्यक है कि खाद्य पदार्थों को खरीदते समय लेवल को ध्यान से पढ़कर यह देखें कि उसमें कौन कौन से तत्व शामिल हैं। कोई खाद्य उत्पाद खरीदने से पूर्व उसकी गुणवत्ता का आकलन करना आवश्यक है। स्थानीय उत्पादों में इसकी ज्यादा संभावना होती है। इसलिए इनके प्रयोग में सावधानी बरतें। सरकार द्वारा प्रमाणित उत्पादों को प्राथमिकता दें। मिलावट का अंदेशा होने पर इसकी शिकायत दर्ज कराएं। गर्मी के मौसम में बाजार के खाद्य पदार्थों से ज्यादा खतरा है। ऐसे में हरी सब्जियां, मौसमी फल व पेय पदाथों पर निर्भर रहें।

अप मिश्रण जांच के घरेलू उपाय

आप दूध में यदि डिटर्जेंट का परीक्षण करना चाहते हैं तो आधा कप दूध में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं, यदि झाग आए तो दूध में डिटर्जेंट मिला हुआ है। इसी प्रकार दूध में स्टार्च का परीक्षण करने के लिए दूध में कुछ बूंदें आयोडीन टिंचर या आयोडीन साल्यूशन की डालें। यदि दूध का रंग नीला हो जाए तो इसमें स्टार्च है। आटे के परीक्षण के लिए आटा गूंथने पर मैदा जैसा लगे और रोटियां टूट जाएं तो समझें कि इसमें चावल की पालिश मिली हो सकती है।

इस संबंध में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी कमल निवास त्रिपाठी ने बताया कि मिलावटखोरी के खिलाफ पूरे जनपद में 19 मई से विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर लिया गया है, जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं।

                                                                                                                                                     
 

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