चंदौली की गंदगी से भी मैली हो रही गंगा, न जाने कब जागेंगे विभाग व गंगा प्रेमी
बगैर शोधन के हर दिन गिर रहा मल-जल
गंगा मां हर रोज हो रहीं मैली
रौना में बनने वाले एसटीपी का इंतजार
लोकसभा चुनाव में इसे भी बनाएं मुद्दा
चंदौली जिले में मैली गंगा को स्वच्छ बनाने का भागीरथ प्रयास तो हुआ, लेकिन पांच साल बाद भी नगर का गंदा पानी बगैर शोधन के गंगा जल को दूषित कर रहा है। एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान) के लिए 274 करोड़ की योजना आज भी फाइलों की शोभा बढ़ा रही है। जबकि तहसील प्रशासन व उत्तर प्रदेश जल निगम, ग्रामीण की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई अपनी-अपनी कार्रवाई पूरा करने का दावा कर रही हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि एसटीपी के लिए अभी तक जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया ही पूरी नहीं की जा सकी है।
आपको बता दें कि एसटीपी बनाने के लिए कागजी मशक्कत वर्ष 2019 से ही शुरू है। रौना गांव में दो हेक्टेयर भूमि में 274 करोड़ की लागत से एसटीपी बनने का मार्ग प्रशस्त है। लेकिन जमीन अधिग्रहण संबंधित कार्रवाई पूरी नहीं हो पाने के कारण यह मूर्त रूप नहीं ले पा रहा है। जिसका परिणाम है कि आज भी पीडीडीयू नगर के 25 वाडाँ का गंदा पानी गंदे नाले से होकर गंगा में गिर रहा है। हालांकि नगर पालिका प्रशासन ने गंदा नाला पर टैप लगाकर कचड़ा निकालने का काम कर रही है, लेकिन यह नाकाफी है।
बताते चलें कि तहसील प्रशासन का कहना है कि जमीन के लिए सभी काश्तकारों का मना लिया गया है, लेकिन संबंधित एजेंसी जमीन की खरीद नहीं कर रही है। वहीं गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई का कहना कि जमीन संबंधित समस्या दूर करने के लिए कई बार एसडीएम को पत्र लिखा गया है।
काश्तकारों की संख्या अधिक होने से पेच एसटीपी निर्माण के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। काश्तकारों की संख्या अधिक होने के कारण अधिग्रहण नहीं हो पा रहा है। दो मुकदमे भी लंबित है। इसके लिए एसडीएम को कई बार पत्र लिखा गया है।
गंगा में इन स्थानों पर गिर रहा नाला
रौना, नरौली, बलुआ, टांडाकला, सोनबरसा में मल-जल प्रवाहित होकर सीधे गंगा में गिरता है।
इस संबंध में एडीएम अभय कुमार पांडेय ने बताया कि सभी काश्तकारों को जमीन के लिए राजी कर लिया गया है। इनकी जमीन खरीद की जानी है, लेकिन संबंधित इकाई खरीद नहीं कर रही है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
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