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कौन कसेगा मनमाने आरओ प्लांट पर नकेल, कहीं गंदगी तो कहीं शुद्धता का अभाव

चंदौली जिले में रोजाना लगभग चार लाख लीटर पानी का कारोबार हो रहा है। नगर से देहात तक संचालित करीब 35 आरओ प्लांट से धड़ल्ले से जार में पानी की आपूर्ति हो रही है।
 

जिले में बिना जांच और निगरानी के बिक रहा है पानी

आरओ के पानी की कौन कर रहा जांच

शुद्ध पेयजल के नाम पर केवल ठंडा पानी

बिना पंजीकरण के चल रहे हैं कई आरओ प्लांट

चंदौली जिले में रोजाना लगभग चार लाख लीटर पानी का कारोबार हो रहा है। नगर से देहात तक संचालित करीब 35 आरओ प्लांट से धड़ल्ले से जार में पानी की आपूर्ति हो रही है। इस पानी की शुद्धता को लेकर न कोई जांच होती है और न ही आरओ प्लांट पर सफाई की कोई निगरानी है। हालांकि विभाग ने शुद्धता जांचने का दावा जरूर किया है। लेकिन, यह कोरमपूर्ति तक सीमित है।

आपको बता दें कि आरओ के नाम पर पानी का यह कारोबार चल रहा है। कई जगहों पर बिना पंजीकरण के आरओ प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर आरओ प्लांट स्थापित हैं। पीडीडीयू नगर में एक प्लांट से प्रतिदिन दस से 15 हजार लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है। आरओ के पानी के 15 लीटर जार की कीमत 20-30 रुपये तक वसूली जा रही है। आरओ प्लांट संचालक पानी से कमाई कर रहे हैं। यदि मानकों की बात की जाए तो कोई प्लांट भू-गर्भ जल विभाग में पंजीकृत नहीं है। ऐसे में आरओ प्लांट से किस मानक के पानी की आपूर्ति की जा रही है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। 


पानी के डिब्बों पर रसायन की मात्रा उत्पादन तिथि और खराबी की तिथि तक नहीं लिखी जा रही है। ऐसे में आरओ प्लांट संचालकों का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। वह शुद्ध पेयजल के नाम पर लोगों को सिर्फ ठंडा और दूषित पानी पिला रहे हैं।


प्लांटों में नहीं दिखी सफाई


गुरुवार को नगर के कुछ आरओ प्लांट की स्थिति की पड़ताल की गई तो सफाई का अभाव दिखा। पानी की आपूर्ति में इस्तेमाल किए जाने वाले जार इधर- उधर फेंके मिले। उनकी सफाई का इंतजाम नहीं था। सुबह ही पानी की आपूर्ति करने वाली गाड़ियां बड़ी संख्या में दिख जाती हैं।

इस सम्बन्ध में वनस्पति विज्ञानी डा. सक्षममणि तिवारी ने बताया कि शुद्ध पानी में टीडीएस की मात्रा 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) होनी चाहिए। इसका पीएच लेवल 7.0 से 8.5 के बीच होना चाहिए। इससे ज्यादा होने पर यह नुकसानदेह है। निजी आरओ से आपूर्ति किए जाने वाले पानी में टीडीएस और पीएच की नियमित जांच होनी चाहिए।

पानी की गुणवत्ता की ऐसे करें जांच 


वाटर सेफ स्टरलाइज्ड विषाणुगत जांच किट का प्रयोग कर आसानी से पानी गुणवत्ता जांची जा सकती है। जांच से पहले अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लें। जांच किट की शीशी का ढक्कन खोलें और उसमें लगे निशान तक पानी को सीधे भर दें। ढक्कन लगाकर किसी भी गरम स्थान पर (30 से 37 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर 24 से 48 घंटे तक रख दें। अब पानी के रंग में आए बदलाव को देखें।

यदि पानी का रंग काला या शीशी में काले रंग की तलछट जमा हो जाए तो पानी में हानिकारक सूक्ष्म जीवाणु हो सकते हैं। इस पानी को क्लोरिन या फिर उबाल कर उपचारित करने के बाद ही पीएं। 24 से 48 घंटे के बाद भी पानी के रंग में कोई बदलाव नहीं आता है तो पानी पीने के लिए उपयुक्त है।

वहीं इस सम्बन्ध में जिला अभिहीत अधिकारी आरएल यादव ने बताया कि विभाग आरओ के पानी का सैंपलिंग कराता है। गुणवत्ता में कमी मिलने पर जुर्माना लगाया जाता है। प्लांट संचालकों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति के कहा गया है।

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