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आज करिए धानापुर कांड के नायकों को नमन, 1947 के पहले आजाद करा दिया था पूरा इलाका

16 अगस्त 1942 को आजादी के दीवानों ने थाने पर झंडा फहराकर पूरे इलाके को लगभग 10 दिनों तक आजाद कराएं रखा और 10 दिनों तक यहां की पुलिस थाने पर आजादी की शान कहे जाने वाला तिरंगा फहराता रहा।
 

इसीलिए होती है  धानापुर कांड की चर्चा

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में है खास महत्व

आज जुड़ते हैं स्थानीय लोग व राजनेता

 चंदौली जिले में आज का दिन अगस्त क्रांति के नायकों को याद करने के लिए जाना जाता है। चंदौली जिला चौरी चौरा कांड और काकोरी कांड की तरह धानापुर कांड के लिए चर्चा में रहता है, लेकिन हमारी आजादी की घटनाओं को किताबों और इतिहास की घटनाओं उतना महत्व नहीं मिला है, जिसका यह हकदार था। लेकिन चंदौली जनपद और आसपास के लोग आज भी धानापुर के शहीदों को याद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। हर साल 16 अगस्त को उनकी शहादत मनाई जाती है।
 
चंदौली जिले का धानापुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में यहां की घटना खास महत्व रखती है। यह एक देश का एकमात्र स्थान है जो आजादी के 5 वर्ष पूर्व ही आजाद हो गया था। यहां 16 अगस्त 1942 को आजादी के दीवानों ने थाने पर झंडा फहराकर पूरे इलाके को लगभग 10 दिनों तक आजाद कराएं रखा और 10 दिनों तक यहां की पुलिस थाने पर आजादी की शान कहे जाने वाला तिरंगा फहराता रहा।

Salute the heroes

 इस पूरे घटनाक्रम का नेतृत्व हेतमपुर निवासी स्वर्गीय कामता प्रसाद विद्यार्थी ने किया था। स्वर्गीय कामता प्रसाद विद्यार्थी के अलावा इस आंदोलन के नायकों में मंहगू सिंह, रघुनाथ सिंह और हीरा सिंह जैसे उन बहादुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद की जाती है, जो इस घटना में शहीद हो गए थे।

Salute the heroes

 बताया जाता है कि 16 अगस्त के दिन जब आजादी के दीवाने धानापुर थाने पर झंडा फहराने पहुंचे तो वहां तैनात थानेदार और सिपाहियों ने उन्हें आगे न बढ़ने की चेतावनी दी, लेकिन आजादी की यह दीवाने अपने इरादे पर डंटे हुए  थे। इस दौरान जैसे ही यह लोग झंडा लेकर थाने के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे, तभी पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें मंहगू सिंह, रघुनाथ सिंह और हीरा सिंह पुलिस की गोली के शिकार हो गए और कामता प्रसाद विद्यार्थी ने थाने की दीवार फांदकर वहां जाकर झंडा फहराया। साथियों की मौत से क्रुद्ध भीड़ ने थानेदार तथा सिपाहियों को लाठी डंडे से मार कर मौत की नींद सुला दिया तथा वहां रखे फर्नीचर तथा अभिलेखों में आग लगा दी।

Salute the heroes

 इसके बाद सभी शहीदों का अंतिम संस्कार किया और इस घटना से अंग्रेजों की हुकूमत को चुनौती देते हुए 10 दिनों तक पूरे इलाके को आजाद बनाए रखा।

 आपको बता दें कि आजादी के बाद कामता प्रसाद विद्यार्थी दो बार धानापुर से विधायक रहे, लेकिन राजनीति में लगातार आ रही गिरावट के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ दी और शहीदगांव में बालक और बालिकाओं के लिए शिक्षण संस्थानों की स्थापना के साथ कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए गांधी आश्रम का निर्माण करवाया।

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