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नौगढ़ में सेंपल विभाग के अधिकारियों की गुंडई, तिवारीपुर में पराग डेयरी संचालक से 50 हजार की दिनदहाड़े वसूली

अधिकारियों ने जांच के नाम पर दबाव बनाया, उन्होंने कहा कि कागजात में कमी है इसलिए उसे हिरासत में लेकर जेल भेज दिया जाएगा। डर और दबाव में व्यापारी को मजबूरी में ₹50000 देने पड़े। 
 

जिले में सिर्फ सैंपलिंग नहीं वसूली भी करता है विभाग

कौन कसेगा सैंपलिंग करने वालों पर नकेल

विभाग के अधिकारी नियम–कानून का हवाला देकर दिनदहाड़े व्यापारी से करते हैं वसूली 

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में पराग डेयरी संचालक, जो दूध सप्लाई का काम करता है। वैध परमिट और लाइसेंस होने के बावजूद दोपहर करीब तीन बजे अधिकारियों की दबंगई का शिकार बन गया। उसे जेल भेजने की धमकी दी गई। और जबरन 50 हजार रुपए वसूले गए। यह मामला अब जिलाधिकारी और एसडीएम की चौखट तक पहुंच गया है।

चकरघट्टा थाना क्षेत्र के गढ़वा निवासी प्रधान पति रामनरेश उर्फ बच्चा यादव (संचालक) ने जिलाधिकारी को बताया कि वह पराग डेयरी को रोजाना दूध की आपूर्ति करता है। जब वह गाड़ी लेकर जा रहा था, तभी सेंपल विभाग के अधिकारी गाड़ी से पहुंचे।‌ अधिकारियों ने जांच के नाम पर दबाव बनाया, उन्होंने कहा कि कागजात में कमी है इसलिए उसे हिरासत में लेकर जेल भेज दिया जाएगा। डर और दबाव में व्यापारी को मजबूरी में ₹50000 देने पड़े। 

sampling officers vasuli

 गवाहों ने खोली है पोल

अधिकारियों की गुंडई और वसूली के दौरान मौजूद हरिहर और लल्लन ने गवाही देते हुए साफ कहा कि अधिकारी पैसे लिए बिना जाने को तैयार नहीं थे। दोनों का कहना है कि यह पूरी तरह से जबरन वसूली का मामला है, जो सीधे-सीधे सरकारी पद की आड़ में की गई गुंडई है।

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 जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग से फरियाद के‌ बाद SDM को मिली है जांच 

दबंग अधिकारियों की करतूत से हताश व्यापारी ने सीधे जिलाधिकारी से शिकायत की है।‌ जिलाधिकारी ने मामले को गंभीर मानते हुए एसडीएम नौगढ़ को जांच सौंपी है।‌ शुक्रवार को तहसील में संचालक खुद एसडीएम विकास मित्तल के सामने पेश हुआ और बयान दर्ज कराया। गवाहों से भी पूछताछ की गई हकीकत साफ हो सके। ‌

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एसडीएम ने दिया न्याय का भरोसा

बताया जा रहा है कि एसडीएम ने व्यापारी को भरोसा दिलाया है कि सेंपल विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। जबरन वसूले गए 50 हजार रुपये वापस दिलाए जाएंगे। इस आश्वासन से व्यापारी और उसके परिजन को थोड़ी राहत मिली है। स्थानीय व्यापारियों और ग्रामीणों का कहना है कि जब जांच विभाग के ही अधिकारी इस तरह की दबंगई करने लगें, तो न्याय और ईमानदारी की उम्मीद कहां से की जाए?

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