जिले के सामुदायिक शौचालयों बुरा हाल, ताले लटके होने के बाद भी सफाई के नाम पर हर माह लाखों के खर्चे
गांवों में शोपीस बनकर रह गए स्वच्छ भारत मिशन के शौचालय
40 से अधिक सामुदायिक शौचालयों पर लटक रहे ताले
ग्रामीण आज भी खुले में शौच को मजबूर
कोई नहीं करता है इनकी निगरानी और न ही रखता है सफाई का हिसाब-किताब
चंदौली जिले के स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए सामुदायिक शौचालयों की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। चंदौली जिले के विभिन्न ब्लॉकों में 40 से ज्यादा सामुदायिक शौचालयों पर ताले लटक रहे हैं। लाखों रुपये खर्च कर तैयार की गई यह इमारतें अब शोपीस बनकर रह गई हैं। हैरानी की बात यह है कि बंद शौचालयों की सफाई और रखरखाव के नाम पर हर महीने प्रति शौचालय छह हजार रुपये का भुगतान स्वयं सहायता समूहों को किया जा रहा है।
यदि केवल इन 40 शौचालयों की बात की जाए तो हर महीने करीब 2 लाख 40 हजार रुपये का भुगतान सफाई के नाम पर हो रहा है, जबकि हकीकत में सफाई का कोई कार्य नहीं हो रहा। कई स्थानों पर शौचालय वर्षों से बंद पड़े हैं, हैंडपंप और बिजली कनेक्शन नदारद हैं, परिसर झाड़ियों से भर चुके हैं।
बरहनी ब्लॉक में जंग खा रहे ताले
बरहनी ब्लॉक के कुशहां, बहोरा चंदेल और रहपुरी गांवों में बने सामुदायिक शौचालयों की हालत बेहद खराब है। कुशहां गांव में दो साल से शौचालय पर ताला लटका है, फिर भी हर महीने समूह की महिलाओं को भुगतान किया जा रहा है। हैंडपंप खराब है, सबमर्सिबल लगाया गया लेकिन बिजली कनेक्शन न होने से वह भी बेकार पड़ा है।
रहपुरी और खझरा गांवों में बदहाली
रहपुरी ग्रामसभा के काली मंदिर के पास बने शौचालय में पानी की टंकी तक नहीं लगाई गई। वहीं खझरा गांव में केवल ढांचा बनाकर छोड़ दिया गया। दीवारों पर “महिला” और “पुरुष” लिखकर काम पूरा दिखा दिया गया। अब वहां झाड़ियाँ उग आई हैं और दरवाजों पर जंग खा चुके ताले लटक रहे हैं।
चकिया ब्लॉक का मुरारपुर मोड़ भी उपेक्षित
चकिया ब्लॉक के रघुनाथपुर ग्राम पंचायत के मुरारपुर मोड़ स्थित सामुदायिक शौचालय भी महीनों से बंद पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय बस्ती से काफी दूर बनाया गया है, जिससे महिलाएं वहां नहीं जा पातीं। महिला स्वयं सहायता समूह को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उन्हें कई महीनों से मानदेय नहीं मिला। परिणामस्वरूप सफाई ठप है और शौचालय बंद पड़ा है।
इलिया ब्लॉक में ‘शोपीस’ बने शौचालय
इलिया ब्लॉक के दोहनपुर और कोढनपुर गांवों के सामुदायिक शौचालयों की हालत भी चिंताजनक है। कोढनपुर में करीब पांच लाख रुपये की लागत से बने शौचालय को दो साल पहले पूरा दिखाकर भुगतान कर दिया गया, लेकिन न पानी की व्यवस्था है, न बिजली। ग्रामीणों के अनुसार यह शौचालय गांव के अंतिम छोर पर बना है, जहां तक पहुंचना भी मुश्किल है।
स्वच्छता योजना पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि इन शौचालयों के निर्माण का उद्देश्य तो गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना था, लेकिन रखरखाव के अभाव में ये अब बेकार साबित हो रहे हैं। दूसरी ओर, हर महीने लाखों रुपये की सरकारी धनराशि सफाई और रखरखाव के नाम पर खर्च की जा रही है।
एक नजर में आंकड़े
- कुल सामुदायिक शौचालय: 703
- बंद पड़े शौचालय: 40 से अधिक
- प्रति शौचालय सफाई भुगतान: ₹6,000 प्रति माह
- कुल मासिक खर्च: ₹42.18 लाख
- सक्रिय शौचालय: 670
- शेष बंद शौचालय: 33 (जल्द चालू होने की प्रक्रिया में)
जिला प्रशासन का दावा
इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी नीरज सिन्हा ने बताया कि चंदौली जिले में कुल 703 सामुदायिक शौचालय हैं, जिनमें से 670 पूरी तरह सक्रिय हैं। केवल 33 शौचालय बचे हैं जिन्हें जल्द ही चालू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शौचालयों का खुलने का समय सुबह 6 से 10 बजे और शाम 4 से 8 बजे तक तय किया गया है। अगर इस दौरान कोई शौचालय बंद पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों और समूहों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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