चंदौली में जारी है मनरेगा की लूट, केवल कागज में मजदूर करते हैं काम, ऐसे घर जाकर वसूले जाते हैं पैसे
शहाबगंज में जारी है मनरेगा का खेल
कागज में होता है मजदूरी वाला काम
विकलांग व असहाय वृद्ध भी करते हैं मजदूर का काम
रोजगार सेवक घर जाकर वसूलता है पैसे
बीडीओ-डीसी मनरेगा को विरोधी बयानबाजी
चंदौली जिले में मनरेगा योजना के तहत शहाबगंज ब्लॉक में इन दिनों बड़े पैमाने पर कागजों में काम कर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है। कई जगहों पर ऐसे साक्ष्य मिल रहे हैं कि कागज पर तो मजदूरों को काम करते हुए दिखाया गया है, लेकिन मौके पर उस मजदूर का कोई नमोनिशान तक नहीं है, जिससे साफ जाहिर होता है कि शहाबगंज में मनरेगा लूट की योजना बनकर रह गयी है।
आपको बता दें कि ताजा मामला शहाबगंज ब्लॉक के हाटा ग्राम सभा से निकलकर सामने आया है, जहां के दस्तावेजों में ग्राम सभा से तीन कार्य का मस्टर रोल पर चल रहा है। इसमें मुहवा पुल से यदुनाथ के खेत तक मेड़बंदी, भोले के खेत से मालिक के खेत तक मेड़बंदी, धनरिया प्राथमिक विद्यालय से शशि कुमार के घर तक चकरोड निर्माण शामिल है। इसमें कुल 160 श्रमिकों की उपस्थिति एनएमएमएस पर की जा रही है। लेकिन मौके पर उस अवधि में काम होने का कोई साक्ष्य नहीं मिल रहा है।
इस मामले में ग्रामीणों का मानना है कि गांव में मनरेगा में बड़े पैमाने पर घोटाला चल रहा है, जिसको बड़े घोटाले में गिना जा सकता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का मुख्य उद्देश्य इच्छुक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोजगार देकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सुरक्षा में वृद्धि लाना है। इसके तहत किसी कार्य के प्राक्कलन की तकनीकी व वित्तीय स्वीकृति के बाद मस्टर रोल जारी कर मजदूरों से काम कराते हुए उन्हें रोजगार दिया जाता है।
बता दें कि नियम के मुताबिक तकनीकी सहायक से हस्ताक्षरित तथा प्राधिकृत मस्टर रोल को कार्य के दौरान कार्यस्थल पर रखा गया है। रोजगार सहायक या मेठ उस पर मजदूरों की हाजिरी बनाते हैं। संबंधित पंचायत के तकनीकी सहायक द्वारा किए गए कार्य की कागज पर पर नापी भी होती है और उसे एमबी बुक में अंकित किया जाता है। जिसके अंतर्गत शहाबगंज ब्लॉक में 156 कार्यों के लिए 553 मस्टररोल निकाल कर 7117 मजदूरों से कार्य कागज पर कराया जा रहा है। लेकिन ब्लाक में कई जगहों पर गंभीर अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं।
इस दौरान धनरिया बनवासी बस्ती के रामप्रसाद सचिन, लालता, जगदीश, फूला, चिंता, बादामी, अनीता, राधिका, मुराही, सत्तन ने कहा कि दो वर्षों से हम लोगों को मनरेगा में कहीं काम करने का अवसर नहीं मिला, लेकिन हम लोगों के खाते में बराबर पैसा आता रहता है। जिसको रोजगार सेवक प्रदीप सिंह घर आकर अंगूठा लगावाकर पैसा निकालवा लेते हैं। उसके एवज में दो से तीन सौ रूपए हम लोगों को दे दिया करते हैं। इतना ही नहीं विकलांग लालजी बनवासी व 85 वर्षीय बुद्धा के खाते में भी मनरेगा का पैसा आता है, जिसे मजदूर बता कर दिया जा रहा है और उनका पैसा निकलवा कर दो से तीन सौ रुपए दिए जाते हैं।
क्या बोले बीडीओ और डीसी मनरेगा
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी दिनेश सिंह ने कहा कि कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जो पूर्व में कर दिए जाते हैं, लेकिन उसका मस्टर रोल बाद में जारी होता है। इसके चलते पहले से हुए कार्यों का भुगतान मजदूरों के खाते में किया जाता है।
इस संबंध में डीसी मनरेगा ने बताया कि मस्टररोल और हाजिरी सब मौके पर की जाती है। पहले से कोई भी ऐसी व्यवस्था नहीं है। यदि ऐसा वर्जन शहाबगंज बीडीओ द्वारा दिया जा रहा है तो वह सरासर गलत है। मामले की जांच की जाएगी।
अब देखना है कि इस मामले को उच्च अधिकारियों द्वारा किस प्रकार देखा जाता है। जिला अधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी द्वारा इन गांवों के मनरेगा का भुगतान ऐसे ही फर्जी तरीके से करने की खुली छूट दी जाती है या अपने स्तर से कोई कार्यवाही भी करते हैं।
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