शहीदों की याद में नम हुईं आंखें: सैदूपुर में बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
शहाबगंज के सैदूपुर में शहीदों के सपनों के भारत पर गंभीर चर्चा हुई। भारत का सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित इस सभा में वक्ताओं ने स्वतंत्रता के वास्तविक अर्थों को समझाते हुए समानता और न्याय पर जोर दिया, साथ ही कवियों ने देशभक्ति की रचनाओं से जोश भर दिया।
शहीदों की याद में श्रद्धांजलि सभा
आजादी के वास्तविक मूल्यों पर मंथन
पंचायत भवन सैदूपुर में विचार गोष्ठी
देशभक्ति की कविताओं का पाठ
समाजवाद और समानता पर गंभीर चर्चा
चंदौली जनपद अंतर्गत शहाबगंज विकासखंड के सैदूपुर पंचायत भवन सभागार में शुक्रवार को एक गरिमामयी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। 'भारत का सांस्कृतिक मंच' की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों—अशफाक उल्लाह खान, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह को याद किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ इन महानायकों के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर और उनके शौर्य को नमन करने के साथ हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने न केवल उनके बलिदान को याद किया, बल्कि वर्तमान समय में आजादी के वास्तविक अर्थों और उसके मूल्यों पर एक गंभीर वैचारिक विमर्श भी किया।
आजादी और सामाजिक समानता पर मंथन
'शहीदों के सपने और आजादी' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने देश की वर्तमान परिस्थितियों और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहराई से प्रकाश डाला। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने तर्क दिया कि देश को राजनीतिक रूप से तो आजादी मिल गई, लेकिन समाजवाद, समानता और जनवाद जैसे महान मूल्य अब भी पूर्ण रूप से स्थापित नहीं हो पाए हैं। वक्ताओं का मानना था कि शहीदों ने जिस भारत का सपना देखा था, वहां केवल सत्ता परिवर्तन ही लक्ष्य नहीं था, बल्कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को न्याय, समान अवसर और एक सम्मानजनक जीवन प्रदान करना था।
शोषण मुक्त समाज और सशक्त नागरिक की भूमिका
श्याम बिहारी सिंह और सुदामा पांडेय ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि शहीदों का सपना एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना था जहां किसी भी प्रकार का शोषण और भेदभाव न हो। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी को सचेत करते हुए कहा कि आजादी की रक्षा के लिए जनचेतना का होना अत्यंत आवश्यक है। वहीं लालजी मौर्य और त्रिभुवन ने लोकतंत्र की मजबूती के लिए आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को अनिवार्य बताया। गंगा दयाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक गांव, किसान और मजदूर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त नहीं होते, तब तक आजादी के लक्ष्यों को अधूरा ही माना जाएगा। ग्राम प्रधान अजय गुप्ता ने युवाओं से शहीदों के आदर्शों को जीवन में उतारने का आह्वान किया।
काव्य गोष्ठी में देशभक्ति की कविताओं ने भरा जोश
विचार गोष्ठी के उपरांत एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने अपनी लेखनी के माध्यम से शहीदों को काव्यांजलि अर्पित की। प्रख्यात कवि मुसे मोहम्मद जानी ने अपनी रचना "उजड़े पवई ना देशवा हमार, वीराना अपने देशवा क पनियां बचावे के पड़ी" के माध्यम से जल और जमीन की रक्षा का संदेश देते हुए उपस्थित जनसमूह में देशभक्ति का संचार कर दिया।
इस मौके पर कवि अलियार प्रधान, प्रीतम कुमार, तेजबली अनपढ़ और वसीम अहमद सहित अन्य रचनाकारों ने अपनी कविताओं से देश के प्रति प्रेम और शहीदों के प्रति सम्मान को जीवंत कर दिया। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।
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