चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा का ऐसा रहा है इतिहास, जानिए वसूली की पूरी कहानी
नई बाजार चौकी के इंचार्ज भूपेश कुशवाहा का कारनामा
जुगाड़ पौवा और सेटिंग से बना रखी थी वसूली गैंग
प्राइवेट गाड़ी में घूमते रहते थे गुर्गे
मदद करते थे चौकी के कई सिपाही
एक नहीं कई आरोपों में बचाए जाते रहे थे 'कुशवाहाजी'
चंदौली जिले के नई बाजार चौकी पर तैनाती के बाद से चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा की वसूली का तौर तरीका काफी मजबूत हो गया था। बालू के बोगा हों या उस रास्ते गुजरने वाले माल लदे वाहन..सबको पैसा देना ही था। अगर किसी ने पैसे देने में आनाकानी की तो साहब उसकी ऐसी की तैसी कर देते थे। उसकी शिकायत भी कोतवाल व सीओ के साथ साथ उपर के अफसरों के पास तक जाती थी, लेकिन क्या मजाल कि कोई उनके ऊपर कार्रवाई कर दे। उनके पास अपने जुगाड़ का पौवा भी था। उसी के चलते वह मनमाने काम करते थे।
चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा ने वसूली के लिए एक गैंग बना रखी थी। इस गैंग में पुलिस के उनके कारखासों के साथ साथ आधे दर्जन अन्य लोग शामिल थे, जिसमें से चार लोग अक्सर अपनी चार पहिया गाड़ी में कुछ पुलिस वालों के लेकर सड़क पर अपना शिकार खोजने निकल पड़ते थे। इसी तरह के शिकार के तलाश में उनकी वसूली गैंग के लोग अधिक कमाई वाली जीटी रोड तक जा पहुंचे और वहां से गाड़ियां खींचकर नई बाजार पुलिस चौकी तक लाकर वसूली करने की योजना पर काम करने लगे। लगभग एक साल से चल रहे इस खेल का 24 फरवरी 2023 को भांडा फूट गया और चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा को अपने खास दीवान विनय कुमार यादव के साथ जेल की हवा खानी पड़ी।
ऐसी से ट्रक से वसूली की पूरी कहानी
मामला कुछ यू है कि कोलकाता बंगाल से मछली का दाना (छोटे बच्चे व बीज) लेकर जा रहे ट्रक JK02 AT 1737 के चालक मो. अयूब व खलासी मो. आसिफ के साथ पूरी ट्रक को सैयदराजा थाना इलाके से जीटी रोड से खींचकर अवैध तरीके से नई बाजार तक ले गए और वहां पर वसूली के मामले में इक्सपर्ट अपने दीवान को वसूली के लिए लगा दिया। इन दोनों को असलहे के बट से मारने के साथ साथ जेल भेजने की धमकी देते हुए उनसे एक लाख रुपए मांगे। यह वसूली का पूरा काम चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा के खासमखास के द्वारा किया जाता था और उसी के फोन से उसी के एकाउंट में पैसे का लेन देन होता था। पैसे खाते में आ जाने के बाद चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा ने उस ट्रक को छोड़ दिया, तब ट्रक ड्राइवर ने मामले की शिकायत आला अफसरों से की। लखनऊ तक शिकायत पहुंचने के बाद कप्तान साहब को रात की नींद छोड़कर दौड़ना पड़ा और कई थानों की फोर्स लेकर अपने मातहत के खिलाफ न चाहते हुए भी कार्रवाई करानी पड़ी।
जानिए उनका इतिहास
चंदौली जिले के सकलडीहा कोतवाली में लगभग 2 साल तैनात रहे और उसके बाद उन्हें लगभग 1 साल से नई बाजार चौकी पर तैनाती देकर सैयदराजा से सकलडीहा की ओर आने जाने वाली सड़क का मालिक बना दिया गया, ताकि वह बेरोकटोक अपनी वसूली को अंजाम दे सकें। हर किसी को सैयदराजा की ओर से सकलडीहा होते हुए सैदपुर की तरफ जाने वाली बोगा वाले ट्रैक्टरों की संख्या याद होगी। यह सारे लोग बंधी बधाई रकम देने के बाद उनके संरक्षण में सहमति से ही आगे जाते थे। यह कार्य करने व कराने में उनको सत्ताधारी दल के नेता मदद करते थे। वह मदद क्यों करते थे..यह तो कप्तान साहब की जांच में ही पता चल पाएगा।
सकलडीहा कोतवाली इलाके में लगभग 3 साल से जमे इस दारोगाजी की यही वसूली व सेटिंग वाली खासियत थी कि कप्तान साहब कई तबादला सूची में इनको छोड़ दिया करते थे, लेकिन जब पानी सिर से उपर गुजर गया तो उनको मौके पर जाकर खुद से कार्रवाई करनी पड़ी।
चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा के बारे में कहा जाता है कि वह भभौरा चौकी इंचार्ज के पद पर रहते हुए फर्जी तरीके से एक व्यक्ति के ऊपर गांजा के साथ जेल भेजने के मामले में भी अपनी किरकिरी करायी थी, लेकिन पुलिस के आला अफसरों के सेट हो जाने से वह बच गए थे। इतना ही नहीं नई बाजार में तैनाती के दौरान भी एक मुकदमे में नाम निकालने के नाम पर डेढ़ लाख लेने की सेटिंग का मामला नई बाजार इलाके में चर्चा का विषय बनी रही, लेकिन उसमें भी चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा का कुछ नहीं बिगड़ा।
चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा को तुक्के से सकलडीहा कोतवाली का कई महीने तक प्रभारी कोतवाल के रुप में काम करने का मौका मिल गया था। उस दौरान भी उनकी वसूली के किस्से सकलडीहा कोतवाली के पीड़ितों से पता किए जा सकते हैं।
मनमानी करने लगे थे 'कुशवाहाजी'
इन सभी मामले में भी पहले से ही चौकी इंचार्ज चर्चा में रहे चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा का मन इतना बढ़ गया था कि वह अपनी एक वसूली गैंग तैयार कर चुके थे। अब उनको यह लगने लगा था कि अपने आकाओं के संरक्षण में वह कुछ भी करेंगे और उनका कोई कुछ भी नहीं उखाड़ पाएगा, लेकिन कहा जाता है कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है। आला अफसरों के द्वारा सबकुछ जानने के बाद भी कार्रवाई न करने से चौकी इंचार्ज भूपेश कुशवाहा का मनोबल बढ़ता गया और उनके द्वारा कोलकाता से आने वाली ट्रक को जीटी रोड से पकड़ने का साहस कर बैठे।
अब इस मामले में पुलिस अधीक्षक द्वारा जेल भेजे जाने पर पुलिस महकमे में हड़कंप मची हुई है। क्षेत्र में इस बात को लेकर चर्चाएं जोर शोर से चल रही है कि इस मामले में इनके ही बिरादरी के भाजपा के वरिष्ठ नेता का भी इनके ऊपर बरदहस्त हाथ होने के कारण इन पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो रही थी। अब देखना है कि इस मामले में कितनी ईमानदारी से काम होता है और इस वसूली गैंग के 4 लोगों समेत इनकी वसूली के संरक्षण दाताओं पर क्या कार्रवाई होती है।
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