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कमीशन खोरी की पोल खोलने की डर से सेक्रेटरी ऑडिट टीम को नहीं दे रहे फाइलें, जांच में आ रही बाधा

 


शासन के निर्देश पर विकास खंडों में वित्तीय वर्ष 2019-20 व 2020-21 की कराई जा रही मनरेगा व पीएम आवास की सोशल आडिट में अभिलेख उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इससे सोशल आडिट टीम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा। इसमें पंचायत सचिवों की लापरवाही नजर या रही है। 


हालांकि जिला प्रशासन की ओर से आडिट के लिए समय से अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत बनवाए गए मार्ग, गली, नाली, चकरोड आदि की पड़ताल करने के लिए आडिट कर्मियों की टीम गांव में पहुंच रही तो विकास कार्यों के अभिलेख नहीं प्रस्तुत किए जा रहे। इससे आडिट कार्य में बाधा आ रही है। आडिट कर्मियों को रिपोर्ट तैयार करने में दिक्कतें हो रही हैं। इसके लिए ग्राम पंचायत सचिवों की जिम्मेदारी तय की गई है, लेकिन सचिव अधिकांश गांवों में नहीं आते हैं। ऐसे में अभिलेख भी नहीं मिल पाते हैं। 


दरअसल, मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों पर ग्राम पंचायतों का कोई विशेष अधिकार नहीं होता है। ऐसे में ग्राम पंचायतों के पास विकास कार्यों के अभिलेख भी मौजूद नहीं। सभी अभिलेख सचिवों के पास ही रहते हैं। सोशल आडिट को लेकर सचिव खुद गंभीर नहीं है। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बावजूद आडिट के समय न तो मौके पर उपस्थित हो रहे और न ही विकास कार्यों से संबंधित अभिलेख ही मुहैया करा रहे हैं। इसकी वजह से विकास कार्यों के बारे में पुख्ता जानकारी हासिल करने के लिए आडिट कर्मियों को भटकना पड़ रहा है।


मनरेगा सोशल आडिट टीम जांच पूरी करने के बाद अपनी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपेगी। एक ग्राम पंचायत में तीन दिन तक आडिट का काम चल रहा है। तीन दिनों में ग्राम पंचायत की खुली बैठक, विकास कार्यों का भौतिक सत्यापन व अभिलेखों की जांच की जाती है। इसके आधार पर आडिट टीम अपनी रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजती है। विकास कार्यों में अनियमितता में यदि किसी भी अधिकारी-कर्मचारी की भूमिका मिली तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।

इस संबंध में सीडीओ अजितेंद्र नारायण का कहना है कि सोशल आडिट के लिए सभी खंड विकास अधिकारियों को अभिलेख उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। लापरवाही पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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