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BJP विधायक सुशील सिंह पर हमले का मामला, सपा विधायक और उनके भाई को कोर्ट से मिली राहत

विशेष न्यायाधीश अशोक कुमार की अदालत ने लोअर कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि एफआईआर घटना के 21 घंटे बाद दर्ज की गई थी, जो मामले को संदेहास्पद बनाती है।
 

एमपी-एमएलए कोर्ट की सजा को किया रद्द,  पूर्व में सुनाई गई सजा को विशेष न्यायाधीश ने किया निरस्त, सकलडीहा विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव को बड़ी राहत

चंदौली जिले के बहुचर्चित मामले में समाजवादी पार्टी के सकलडीहा से विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव और उनके भाई अनिल यादव को बड़ी राहत मिली है। बीजेपी विधायक सुशील सिंह पर हमले और रास्ता अवरुद्ध कर बलवा करने के आरोप में दर्ज मुकदमे में चंदौली की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने सोमवार को दोनों को दोषमुक्त कर दिया।

विशेष न्यायाधीश अशोक कुमार की अदालत ने लोअर कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि एफआईआर घटना के 21 घंटे बाद दर्ज की गई थी, जो मामले को संदेहास्पद बनाती है। कोर्ट ने यह भी पाया कि विवेचना के दौरान घटनास्थल के आस-पास रहने वाले किसी भी व्यक्ति का बयान दर्ज नहीं किया गया, जिससे घटना की पुष्टि नहीं हो सकी।

ज्ञात हो कि निचली अदालत ने सपा विधायक और उनके भाई को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, जिसे अब विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत के इस आदेश के साथ दोनों आरोपियों को पूरी तरह से बरी कर दिया गया है। मामले में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता अनुज यादव ने प्रभावी तरीके से दलीलें पेश कीं और लोअर कोर्ट के निर्णय की खामियों को उजागर किया। अदालत ने उनकी दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रस्तुत साक्ष्य इस आरोप को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसीलिए मुख्य न्यायिक मज्ट्रिरेट / (एमपी- एमएलए कोर्ट) ने 24 मई 2023 को दिया गया आदेश निरस्त किया जाता है।

आपको याद होगा कि 2015 में जिला पंचायत के चुनाव के दौरान चहनिया क्षेत्र के सेक्टर नंबर 4 में सपा विधायक प्रभुनारायण यादव के छोटे भाई अनिल सिंह यादव प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। इसी बीच दूसरे प्रत्याशी प्रभु चौहान और विधायक के समर्थकों के बीच टकराव हो गया था। बाद में सकलडीहा के तत्कालीन विधायक सुशील सिंह की पहल पर मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसमें सपा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव और अनिल यादव को आरोपी बनाया गया था। 

इस फैसले के बाद सपा खेमे में राहत और संतोष का माहौल है, वहीं यह मामला एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है।

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