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चंदौली के खिलाड़ियों को है खेल स्टेडियम का बेसबरी से इंतजार, कब पूरा होगा स्टेडियम का सपना

चंदौली जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। युवा खिलाड़ियों ने जिले का नाम देश-विदेश तक रौशन किया है। इसके बाद भी जिले के खिलाड़ियों को 27 साल से स्टेडियम का इंतजार है।
 

  केवल चर्चा में हैं खेलों की योजना

खिलाड़ियों में छा रही निराशा

आखिर कितना करना होगा प्रतिभाओं को इंतजार

चंदौली जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। युवा खिलाड़ियों ने जिले का नाम देश-विदेश तक रौशन किया है। इसके बाद भी जिले के खिलाड़ियों को 27 साल से स्टेडियम का इंतजार है। पिछले दो साल से खेल स्टेडियम की फाइल सचिवालय में लटकी हुई है। जबकि खेल स्टेडियम के लिए सकलडीहा में धरहरा के पास जमीन चिह्नित कर विभाग की ओर से 25 करोड़ का प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा चुका है। लेकिन अभी तक स्टेडियम निर्माण के लिए धनराशि अवमुक्त नहीं हुई है। फिलहाल स्टेडियम न होने से खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पा रही है।


तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 1997 में वाराणसी से अलग कर चंदौली जिले का सृजन किया। तब लोगों को लगा की जिले का तेजी से विकास होगा। लेकिन अभी तक जिले का चहुंमुखी विकास नहीं हो पाया है। शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की मार खिलाड़ियों का झेलनी पड़ रही है।


 जिले में स्टेडियम निर्माण की कवायद 2003 से ही शुरू हो गई थी। पहले सात एकड़ निःशुल्क जमीन की तलाश अधूरी रह गई थी। बाद में शासन ने 2014 में जमीन क्रय करने का आदेश करते हुए दो करोड़ रुपया भी दिया। इसके बाद भी जिला प्रशासन जमीन की तलाश नहीं कर पाया। लम्बे जद्दोजेहद के बाद 2020 में जिला मुख्यालय से सटे मद्भूपुर में लगभग सात एकड़ जमीन चिह्नित कर ली गई। साथ ही विभागीय अधिकारियों ने किसानों से सहमति मिलने पर जिला प्रशासन के माध्यम से रिपोर्ट भी शासन को भेज दिया। इसपर शासन ने एक करोड़ रुपया स्वीकृत भी कर दिया। लेकिन चयनित जमीन क्रय नहीं किया जा सका। 


पिछले दो साल पहले केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डा. महेंद्रनाथ पांडेय की पहल पर देश के 108 आकांक्षी जिले में चयनित चंदौली के सकलडीहा तहसील में धरहरा गांव के पास स्टेडियम की जमीन चिह्नित की गई है। साथ ही खेल विभाग की ओर से 25 करोड़ का प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया गया है। लेकिन दो साल से स्टेडियम की फाइल शासन में लटकी हुई है। इससे स्टेडियम का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। इससे आज भी जिले के खिलाड़ियों को स्टेडियम का इंतजार है।


चंदौली जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर धरहरा में बनने वाले स्टेडियम में एथलीट ट्रैक के अलावा फुटबाल, वालीबाल व कबड्डी ग्राउंड के साथ ही पैवेलियन सहित बहुउद्देशीय हाल बनाने की योजना है। इसके लिए आठ एकड़ जमीन चह्निति की गई है। कार्यदायी संस्था यूपीसीसीएल ने चह्निति जमीन का मृदा परीक्षण भी कर लिया है। लेकिन शासन से अभी हरी झंडी नहीं मिल पायी है। इससे स्टेडियम नहीं बन पाया है।

चंदौली जिले में खेल स्टेडियम न होने से खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा व प्रशक्षिण नहीं मिल पाता है। खिलाड़ी वद्यिालय व स्कूल के खेल मैदान पर ही अभ्यास करते नजर आते हैं। वहीं गांवों की खेल प्रतिभाएं खेतों, खलिहानों और पगडंडियों पर दौड़ लगाने को विवश हैं। यह स्थित तब है जब केंद्र और प्रदेश सरकार खेल को बढ़ावा देने को लेकर प्रयासरत है।

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चंदौली जिले में प्रतिभावान खिलाड़ियों ने कुश्ती, फुटबाल, मार्शल आर्ट, एथलिट, भाला प्रक्षेप आदि खेलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनी है। जिले के खिलाड़ी ओलंपिक तक का सफर तय कर चुके हैं। जिले के धानापुर विकास खंड के हिंगुतरगढ़ गांव शिवपाल सिंह ने टोक्यो ओलंपिक में भाला प्रक्षेप में प्रतिभाग कर चुके हैं। इसके अलावा भी कई अन्य खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रतिभा दिखा चुके हैं।


इस सम्बंध में जिला क्रीड़ाधिकारी करमवीर सिंह का कहना है कि जिले में स्टेडियम निर्माण के लिए दो साल पहले ही शासन में प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन अभी धनराशि स्वीकृत नहीं हुआ है। शासन से बजट जारी करने के बाद स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा।

                                                                                                                                                                                                                                  

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