2047 के लिए चंदौली ने दिया यूपी को विजन: जनभागीदारी से बनेगा विकसित उत्तर प्रदेश
जनभागीदारी से तैयार होगा रोडमैप
औद्योगिक संगठन के प्रतिनिधियों ने दिए सुझाव
5 अक्टूबर तक ऑनलाइन पोर्टल पर भी दे सकते हैं अपने अपने सुझाव
चंदौली जिले में 'समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047' अभियान के तहत मंगलवार को एक महत्वपूर्ण संवाद और विचार-मंथन सत्र आयोजित किया गया। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में जिले के गणमान्य व्यक्तियों, मीडियाकर्मियों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए आम नागरिकों से सुझाव एकत्र करना है।

इस विशेष सत्र में सेवानिवृत्त आईएएस लालजी राय, सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. सुरेश कुमार कनोरिया, और नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र रघुवंशी जैसे प्रबुद्धजन मौजूद रहे। उन्होंने इस पहल के महत्व को उजागर करते हुए बताया कि प्रत्येक परिवार से कम से कम एक सुझाव आना आवश्यक है। उनका मानना है कि प्रदेश का भविष्य नागरिकों के विचारों से ही तय होगा।
जनभागीदारी से तैयार होगा रोडमैप
यह अभियान केवल सरकारी नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रदेश के प्रत्येक नागरिक की आकांक्षाओं, अनुभवों और योगदान को शामिल करने का एक अनूठा अवसर है। प्रबुद्धजनों ने बताया कि यह विजन डॉक्यूमेंट सरकार द्वारा तैयार नहीं किया जा रहा है, बल्कि यह नागरिकों की सहभागिता से बनेगा। उन्होंने सभी से 5 अक्टूबर तक ऑनलाइन पोर्टल http://samarthuttarpradesh.up.gov.in पर अपने सुझाव दर्ज करने की अपील की। इसके लिए क्यूआर कोड भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे फीडबैक देना बेहद आसान हो गया है।
प्रमुख मुद्दे और सुझाव
संवाद सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहे। नौगढ़ जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर परिवहन व्यवस्था की मांग उठी, खासकर धार्मिक स्थलों और जलप्रपातों को जोड़ने वाली सड़कों के विकास पर जोर दिया गया। औद्योगिक संगठन के प्रतिनिधियों ने औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार और उन्हें बाजार से जोड़ने की जरूरत बताई, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ सकें। कृषि के क्षेत्र में गन्ना उत्पादन, विशेष प्रजातियों के भेड़ पालन और रेशम कीट पालन पर भी सुझाव दिए गए।
इसके अलावा, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण और तकनीकी नवाचार जैसे क्षेत्रों में भी सुधार के लिए कई विचार साझा किए गए। प्रतिभागियों ने इन सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी और बताया कि इन क्षेत्रों में कैसे और सुधार किया जा सकता है।

जिलाधिकारी ने की अपील
जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग ने सभी से आग्रह किया कि वे इस अभियान के बारे में अपने कार्यक्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों को बताएं। उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल की प्रक्रिया भी समझाई और बताया कि कैसे कोई भी नागरिक आसानी से अपने सुझाव सरकार तक पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है, जब आम जनता को सीधे तौर पर प्रदेश के भविष्य को आकार देने का मौका मिल रहा है।
अन्य स्थानों पर भी हुआ संवाद
कलेक्ट्रेट सभागार के अलावा, आईटीआई रेवसा और विकास खंड सकलडीहा में भी संवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए। आईटीआई रेवसा में 'विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश, आत्मनिर्भर भारत-आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश' विषय पर एक संगोष्ठी हुई। इसमें शिक्षकों और छात्रों ने शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया और उन्हें दूर करने के लिए सुझाव दिए। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आर. जगत साईं ने भी छात्रों और शिक्षकों को क्यूआर कोड के माध्यम से सुझाव भेजने के लिए प्रोत्साहित किया।
सकलडीहा में आयोजित कार्यक्रम में ग्रामीणों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रबुद्धजनों ने उन्हें 'समर्थ, समृद्ध और सशक्त उत्तर प्रदेश' के लक्ष्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि उनके सुझाव कितने महत्वपूर्ण हैं। बीडीओ विजय कुमार सिंह और एडीओ पंचायत बजरंगी पांडेय ने सभी अतिथियों का सम्मान किया।
इन सभी संवाद सत्रों में प्राप्त सुझाव और फीडबैक को संकलित किया जाएगा और अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय को सौंपा जाएगा। ये सुझाव विजन डॉक्यूमेंट का हिस्सा बनेंगे, जो 2047 तक उत्तर प्रदेश के विकास की दीर्घकालिक रणनीति तैयार करेगा। यह अभियान दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार केवल नीतियों पर निर्भर नहीं है, बल्कि वह जनता की राय को भी उतना ही महत्व देती है। यह जन-केंद्रित दृष्टिकोण ही 2047 के विकसित उत्तर प्रदेश का आधार बनेगा।
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