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चंदौली में इन दुकानों पर बिक रही नकली काजू की बर्फी और पनीर, सैंपल हो गए फेल

चंदौली जिले में नवरात्र और दीपावली पर जिले की प्रतिष्ठित दुकानों से खराब काजू की बर्फी बेची गई थी। पनीर का सैंपल भी फेल मिला है। इसकी रिपोर्ट करीब चार महीने बाद आई है।
 

नवरात्र, दीपावली पर खराब पनीर-बर्फी खा गए चंदौली के लोग

चार महीने बाद आयी रिपोर्ट में हुआ खुलासा

 क्षीर सागर का पनीर और रसकुंज की काजू की बर्फी मिलावटी

 खराब मिठाई से बढ़ता है कैंसर का खतरा 

 

चंदौली जिले में नवरात्र और दीपावली पर जिले की प्रतिष्ठित दुकानों से खराब काजू की बर्फी बेची गई थी। पनीर का सैंपल भी फेल मिला है। इसकी रिपोर्ट करीब चार महीने बाद आई है। अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन असुरक्षित खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में जुटा है। नोटिस जारी करके दुकानदारों से जवाब तलब किया गया है। 

चंदौली जिले में यह खेल एक दो नहीं कई दुकानों पर खेला जा रहा है लेकिन खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग केवल कुछ दुकानों पर कार्रवाई करके अपनी खानापूर्ति कर रहा है। जांच की रिपोर्ट भी आने में इतनी देरी होती है कि तब हजारों लोग उस खराब मिठाई या पनीर को खा चुके होते हैं। वहीं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन केवल जुर्माना लगाकर ऐसी दुकानों को मनमानी करने की छूट देता जा रहा है। 


आपको बता दें कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने अक्तूबर 2024 में जिले की कई मिठाई की दुकानों व रेस्टोरेंट से 49 सैंपल लिए थे। इनमें से दो की रिपोर्ट आई है। बाकी रिपोर्ट कब तक आएगी यह भगवान ही जानें।


अभिहीत अधिकारी कुलदीप सिंह ने बताया कि क्षीर सागर के पनीर में एनिमल यानी गाय या भैंस के दूध का फैट नहीं मिला है। इसमें आर्टिफिशियल फैट पाया गया। इसका मतलब है कि पाउडर या रिफाइंड मिलाकर पनीर बनाया गया था। इसी तरह रसकुंज की काजू की बर्फी में काजू और खोवा का प्रयोग नहीं मिला है। बर्फी में जो तत्व पाए गए, वह खाने के लिए असुरक्षित माने जाते हैं। इसकी रिपोर्ट प्रशासन को भेज दी गई है। अब मामले में कार्रवाई होगी। 


मिलावटी मिठाई से कैंसर का खतरा 


पं. कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय के सर्जन डॉ. अनिल सुमन ने बताया कि मिलावटी मिठाई और खाद्य सामग्री खाने से कैंसर होने का खतरा रहता है। ज्यादा दिन तक सेवन से मेमोरी लॉस, आंतों में सूजन, डायजेशन और ब्लड कंपोजिशन खराब होने की दिक्कत होती है। 

जांच रिपोर्ट में देरी, अब कोई फायदा नहीं 


खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से त्योहारों पर मिठाई की दुकानों की जांच की जाती है। सैंपल भी लिए जाते हैं। सैंपल को जांच के लिए लैब में भेजने और रिपोर्ट आने में तीन से चार महीने लग जाते हैं। जब तक यह पता चलता है कि दुकान की मिठाई खाने लायक नहीं है, तब तक हजारों की संख्या में लोग उसे खरीद कर खा चुके होते हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की रिपोर्ट में जिन दो दुकानों के पनीर और काजू की बर्फी के सैंपल फेल बताए गए हैं, उन दुकानों पर सामान्य दिनों में भीड़ ज्यादा होती है। 

अभिहीत अधिकारी कुलदीप सिंह ने बताया कि पूरे प्रदेश में आठ ही जांच लैब हैं। दीपावली और नवरात्र में सभी जिलों से सैंपल जाते हैं। वैसे तो एक महीने में रिपोर्ट आ जाती है, लेकिन सैंपल की संख्या बढ़ने से 40-45 दिन का समय लग जाता है।

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