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विद्यालयों के मर्जर को लेकर शिक्षकों में आक्रोश, सौंपा गया ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी

शिक्षिका सुनीता तिवारी ने कहा कि सरकार का यह कदम प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का प्रयास प्रतीत होता है। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किए बिना इस प्रकार का निर्णय लेना पूरी व्यवस्था के साथ अन्याय है।
 

विद्यालयों के एकीकरण प्रक्रिया पर शिक्षकों ने जताया विरोध

जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

दूर-दराज के स्कूलों में स्थानांतरण से बच्चों को होगी भारी दिक्कत

जिले के शिक्षकों ने दी चेतावनी

मर्जर प्रक्रिया नहीं रुकी तो करेंगे आंदोलन

चंदौली जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों को एकीकृत (मर्ज) करने की प्रक्रिया को लेकर शिक्षकों में गहरा असंतोष उत्पन्न हो गया है। इस निर्णय का विरोध करते हुए शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा और तत्काल मर्जिंग प्रक्रिया को रोकने की मांग की।

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शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय छात्रों के हितों के विरुद्ध है। विद्यालयों को मर्ज करने की प्रक्रिया के कारण कई स्कूलों को दूरस्थ स्थानों में स्थानांतरित किया जा रहा है, जिससे छोटे-छोटे बच्चों को विद्यालय पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधाएं सीमित हैं, ऐसे में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? यह सवाल शिक्षक लगातार उठा रहे हैं।

शिक्षक संघ पदाधिकारी मनोज कुमार पांडे ने कहा कि अगर विद्यालयों को दूर-दराज क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया, तो छात्रों की उपस्थिति में गिरावट आ सकती है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मर्ज प्रक्रिया पर जल्द रोक नहीं लगाई गई, तो शिक्षक संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

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शिक्षिका सुनीता तिवारी ने कहा कि सरकार का यह कदम प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का प्रयास प्रतीत होता है। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद किए बिना इस प्रकार का निर्णय लेना पूरी व्यवस्था के साथ अन्याय है।

ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि किसी भी मर्ज प्रक्रिया से पूर्व स्थानीय परिस्थितियों का गहन अध्ययन किया जाए। शिक्षकों का तर्क है कि एक तरफ सरकार स्कूलों में नामांकन बढ़ाने की बात कर रही है और दूसरी ओर नजदीकी विद्यालयों को मर्ज करके छात्रों को दूर भेजने की व्यवस्था कर रही है। यह दोहरी नीति छात्रों के भविष्य के लिए घातक साबित हो सकती है।

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शिक्षकों ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी कीमत पर छात्रहित में कटौती या असुविधा को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने प्रशासन से इस संवेदनशील मुद्दे पर पुनर्विचार करने की मांग की है ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा मिल सके।

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