शिक्षकों में TET का विरोध जारी, अनिवार्यता के खिलाफ जारी है धरना-प्रदर्शन व ज्ञापन का कार्यक्रम
चंदौली जिले में टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षकों का प्रदर्शन
कलेक्ट्रेट में धरने के बाद सौंपा ज्ञापन
संसद से काले कानून को वापस लेने की मांग
चंदौली जिले में टेट का विरोध जारी है। टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) की अनिवार्यता के विरोध में चंदौली जिले के हजारों शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा, जिसमें टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की गई है।
शिक्षकों का कहना है कि सरकार को संसद में कानून लाकर इस "काले कानून" को वापस लेना चाहिए, अन्यथा लाखों शिक्षक और उनके परिवार भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे और आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन पर अलग से कानून थोपा जा रहा है, जो उनके साथ दुर्व्यवहार है। उन्होंने कहा कि "खेल के बीच में खेल के नियम नहीं बदले जाते," लेकिन शिक्षकों के साथ यही हो रहा है।

शिक्षकों के अनुसार, जब उन्हें नियुक्त किया गया था, तब वे सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करते थे। टीईटी परीक्षा की नियमावली 2011 में बनी, लेकिन अब नौकरी के बीच में उन्हें टीईटी पास करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। शिक्षकों ने तर्क दिया कि इस उम्र में वे परिवार की जिम्मेदारियों, बच्चों की पढ़ाई और शादी के साथ-साथ सरकारी कर्तव्यों को निभाएं या फिर पढ़ाई करके टीईटी परीक्षा पास करें।

शिक्षकों ने चेतावनी दी कि यदि टीईटी के नियम में बदलाव नहीं किया गया, तो वे 'आर-पार की लड़ाई' लड़ने के लिए मजबूर होंगे। इस आंदोलन में जूनियर हाई स्कूल और पूर्व माध्यमिक सहित सभी शैक्षिक संगठन शामिल थे। ज्ञापन सौंपने वालों में शिक्षक संघ के नेता आनंद कुमार पांडे, अजय सिंह, संयुक्त शिक्षक मोर्चा चंदौली के संरक्षक आनंद मिश्रा (डंडा गुरु), चंद्रधर दीक्षित, चंदन पांडे और आलोक पांडे समेत सैकड़ों शिक्षक मौजूद थे।

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