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अब होंगे ब्लॉक लेवल पर टेंडर, कैचर लगाकर पकड़े जाएंगे बंदर

शहरी रहन सहन के आदि बंदर कुछ दिनों तक तो वनों में भटके इसके बाद धीरे-धीरे इनका इनकी टोली वनों के किनारे स्थित इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ने लगी।
 

बंदरों के आतंक से जिले के लोग हैं परेशान

इसलिए जिला प्रशासन ने उठाया यह कदम

अब गांव में टेंडर के माध्यम से पकड़े जाएंगे बंदर

चंदौली जिले में बंदरों के उत्पात को लेकर जिला प्रशासन नयी तैयारी कर रहा है। अब जिले के नागरिकों के लिए राहत देने के लिए खतरनाक बंदरों को पकड़वाने की बात कह रहा है। जिला प्रशासन ने बंदरों की समस्या के समाधान के लिए नगर और ग्राम पंचायतों को टेंडर के माध्यम से बंदरों को पकड़ने का निर्देश अधिकारियों को निर्देशित किया है। इसके लिए बंदर कैचर की व्यवस्था करने को कहा जा रहा है। इसके बाद वन विभाग की अनुमति लेने के बाद उन्हें वन क्षेत्र में छोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।

वहीं ग्राम प्रधानों व ग्रामीणों से संपर्क स्थापित कर वनरोजों की भी गणना कराने का निर्देश दिया गया है। ताकि किसानों को वनरोजों से होने वाली समस्या का समाधान किया जा सके। वर्ष 2017-18 में बड़ी संख्या में बनारस के बंदरों को चंद्रप्रभा अभयारण्य के जिलेबिया मोड़ के जंगलों में छोड़ा गया था। शहरी रहन सहन के आदि बंदर कुछ दिनों तक तो वनों में भटके इसके बाद धीरे-धीरे इनका इनकी टोली वनों के किनारे स्थित इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ने लगी। नतीजा यह हुआ कि दो-तीन वर्षों में ही गांवों में इनकी आबादी हजार के पार पहुंच गई।

अब उत्पाती बंदरों ने गरीबों के खपरैल के मकान को उजाड़ना तो आरंभ किया ही साथ ही साथ बीघे दो बीघे की खेती कर परिवार का भरण पोषण करने वाले किसानों को नींद हराम कर दी है। चाहे धान गेहूं की फसल हो या फिर सब्जी बचाना बहुत मुश्किल हो गया है। अब तो नगरों में भी बंदरों की संख्या बढ़ गई है। पक्के मकानों को बालकनी इनका स्थायी ठिकाना बन गया है। रात हो या दिन ये जहां पहुंच जा रहे वहां से टस से मस नहीं हो रहे हैं। यदि किसी से जरा सी चूक हुई तो काटने के बाद अस्पताल जाना पड़ रहा है।

अब तक तो कई लोगों को बंदर जख्मी कर चुके हैं। विडंबना कि बंदर अब सड़कों पर खेल रहे बच्चों को भी जख्मी कर रहे हैं। इससे अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बीते दिनों चकिया नगर पंचायत बोर्ड की बैठक में सभासदों ने नागरिकों की मुश्किलों को देखते हुए चेयरमैन से बंदरों को पकड़‌वाने की मांग की थी। टेंडर प्रक्रिया के तहत एक बंदर को पकड़ने में 375 रुपये खर्च किए गए, लेकिन चंद बंदरों को ही पकड़कर टीम वापस लौट गई।

इस संबंध में चंदौली जिले के जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि नागरिकों को राहत दिलाने के लिए सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। ताकि टेंडर कराकर बंदरों को पकड़ा जा सके।

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