एक तो चोरी और दूसरे सीना जोरी, तुलस्यानजी कागज और नोटिस दिखाकर बोलिए

बच्चों के गार्जियन से कहिए 'द गुरुकुलम स्कूल' नहीं चलेगा
पुराने नाम से स्कूल चला पाएंगे
अपनी गलती का ठीकरा मीडिया के सिर न फोड़िए
चंदौली समाचार आपसे खुलकर बात करने को तैयार
आप अपने कागज दिखाएं तो आपकी सच्चाई लिखने को तैयार
चंदौली जिले के नियामताबाद ब्लॉक के सिंघीताली गांव में संचालित फिजिक्स वाला ग्रुप के द गुरुकुलम स्कूल को लेकर जहां बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मान्यता न मिलने के कारण बंद करने का आदेश दिया है, तो वहीं उसके बाद स्कूल मैनेजमेंट के द्वारा द गुरुकुलम स्कूल के नाम को ढकने व छिपाने की कोशिश की जा रही है। स्कूल को पहले से पंजीकृत नाम से ही चलाने की परमीशन दी जा सकती है।

आपको बता दें कि सिंघीताली क्षेत्र में संचालित हो रहे फिजिक्स वाला ग्रुप के गुरुकुलम स्कूल को सरकार द्वारा कोई मान्यता नहीं दी गई है, बल्कि यह संस्थान द वर्ल्ड हेरिटेज स्कूल की मान्यता पर 10 साल की लीज या ठेके पर संचालित करने की कोशिश की जा रही थी। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा मंजूरी और नये नाम की कोई मान्यता फिलहाल नहीं दी और फिजिक्स वाला ग्रुप के द गुरुकुलम स्कूल के नाम से कोई स्कूल न चलाने का नोटिस जारी किया गया था।

चंदौली समाचार के द्वारा खबर चलाए जाने के बाद जिला प्रशासन द्वारा इस स्कूल के संचालन पर रोक लगाने का नोटिस जारी किया गया। जिसके बाद स्कूल बंद किए जाने की पुष्टि हुई। चंदौली समाचार ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन अब स्कूल प्रशासन इसे “फेक न्यूज़” बताकर न केवल पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि स्कूल के संचालक तुलस्यान के द्वारा बच्चों और अभिभावकों को गलत जानकारी मैसेज भेजकर दे रहा है। साथ ही वह बेसिक शिक्षा विभाग की वैधानिक कार्रवाई को भी झुठलाने का प्रयास कर रहा है।
बताते चलें कि बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुसार फिजिक्स वाला ग्रुप के गुरुकुलम स्कूल नाम वाले बोर्ड व होर्डिंग को फिलहाल ढका गया है और स्कूल प्रशासन ने स्वयं लिखित रूप में यह स्वीकार किया है कि इस नाम के विद्यालय को बंद कर दिया गया है। इसके प्रमाण और तस्वीरें भी सार्वजनिक की गई हैं। इसके बावजूद स्कूल प्रशासन व्हाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से अभिभावकों को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। यह दर्शाता है कि सच्चाई को छिपाने और स्थिति को धुंधला करने की कोशिश की जा रही है।
यह प्रकरण उस कहावत को चरितार्थ करता है – “नाम बड़े और दर्शन छोटे” एक ओर संस्थान स्वयं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रतीक बताता है, वहीं दूसरी ओर बिना पंजीकरण के विद्यालय चलाने की सच्चाई सामने आते ही वह खबर को फर्जी करार देकर मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
यदि स्कूल प्रशासन के पास अपने पक्ष में कोई ठोस तर्क या दस्तावेज़ हैं तो उन्हें चंदौली समाचार या किसी अन्य विश्वसनीय मंच पर सामने आकर अपनी बात रखनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में देखा जा रहा है कि न तो वे पारदर्शिता अपना रहे हैं और न ही जवाबदेही। ऐसे में स्वाभाविक सवाल उठता है –
1. अगर स्कूल का नाम और मान्यता सही है तो फिजिक्स वाला ग्रुप के गुरुकुलम स्कूल के नाम को क्यों ढंका गया है?
2. स्कूल परिसर में बंदी जैसा माहौल क्यों नजर आ रहा है?
3. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को क्या नोटिस दिया है, इसे सार्वजनिक किया जाए?
4. पत्रकारों को बुलाकर और सही दस्तावेज दिखाकर स्कूल मैनेजमेंट पत्रकार वार्ता क्यों नहीं कर रहा है?
5. द वर्ल्ड हेरिटेज स्कूल के मालिक फिजिक्स वाला ग्रुप के द गुरुकुलम स्कूल के नाम पर अपना प्रचार व अभिभावकों को बड़ा सपना दिखाकर ज्यादा फीस वसूलने की क्यों कोशिश कर रहे हैं ?
इस पूरे मामले में सबसे ज़्यादा प्रभावित वे अभिभावक हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद में इस संस्थान में मोटी फीस देकर दाखिला लिया। अब जब सच्चाई धीरे-धीरे उजागर हो रही है, तो वे दुविधा में हैं कि किस पर भरोसा करें प्रमाणित खबरों पर या भ्रम फैलाने वाले व्हाट्सएप मैसेजों पर।
दुख की बात यह है कि कई अभिभावक अब भी आँख मूंदकर संस्थान के झूठे भरोसे पर विश्वास कर रहे हैं, जबकि स्कूल परिसर का बदलता दृश्य, ढके हुए बोर्ड-बैनर और प्रशासन की कार्रवाई स्पष्ट रूप से स्थिति को दर्शाते हैं।
यदि द गुरुकुलम स्कूल को लगता है कि उसके साथ अन्याय हो रहा है, तो उसे चाहिए कि वह सार्वजनिक रूप से सामने आकर दस्तावेज़ और साक्ष्य पेश करे, न कि गुपचुप तरीके से अभिभावकों को गुमराह करने की रणनीति अपनाए। अन्यथा, यह माना जाएगा कि स्कूल प्रशासन कुछ छिपा रहा है और यह बच्चों के भविष्य के साथ एक गंभीर खिलवाड़ है।
स्कूल प्रबंधन से अपील
चंदौली समाचार अभी भी स्कूल प्रबंधन से सच्चाई स्वीकार करने और प्रेस कांफ्रेंस करके सारी सच्चाई पेश करने की अपील कर रहा है, ताकि जनता में स्कूल की सच्चाई पेश की जा सके। अगर चंदौली समाचार की जानकारी गलत होगी तो हम भी अपनी गलती मान लेंगे। अन्यथा चंदौली समाचार अपने अगले अंक में इस प्रकरण से जुड़े कई और दस्तावेज़, तस्वीरें और साक्ष्य प्रस्तुत करेगा, ताकि जनता सच्चाई से पूरी तरह अवगत हो सके।
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