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1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं 3 नए कानून, ये है यूपी पुलिस की तैयारी

नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों, पेपर लीक कराने वालों को सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानूनों की अवधारणा दंड के बजाय न्याय है।
 

देशभर में 1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून

ब्रिटिश राज के कानून का होगा अंत

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर कानून मजबूत

जल्द से जल्द निपटाया जाएगा मामला

नए अंदाज में मिलेगी अपराधियों को सजा

देश भर में एक जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानूनों के साथ ही ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक कानूनों का अंत हो जाएगा। फिलहाल 30 जून तक पुराने कानूनों के मुताबिक ही मुकदमे दर्ज होंगे। इसके बाद सारा कुछ बदलने लगेगा।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि 1 जुलाई को उसके लिए खास तैयारी की जा रही है। 1 जुलाई को प्रदेश के सभी थानों पर कार्यक्रम आयोजित करके इसकी जानकारी दी जाएगी। साथ ही हर विवेचना करने वाले पुलिसकर्मी इसके लिए तैयार एक खास बुकलेट दी जाएगी, जिसे वह अपनी जेब में रखेगा।

आपको बता दें कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों, पेपर लीक कराने वालों को सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानूनों की अवधारणा दंड के बजाय न्याय है। वहीं छोटे अपराधों पर सजा के बजाय सामुदायिक सेवा पर जोर दिया गया है।

पुलिस मुख्यालय में बृहस्पतिवार को डीजीपी प्रशांत कुमार ने नए कानूनों के बारे में पत्रकारों को बताया कि इसमें जांचकर्ताओं को हर कदम के लिए उत्तरदायी बनाया गया है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 पीड़ित को न्याय प्रदान करने पर अधिक केंद्रित हैं। इसकी मंशा तीन साल में न्याय दिलाना और कई वर्षों से लंबित मामलों को पारदर्शी तरीके से निपटाना है। साथ ही, कानूनी प्रक्रिया आसान होने से सजा दर 90 फीसद तक बढ़ाने में मदद मिलेगी।

वहीं एडीजी प्रशिक्षण सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि छोटे अपराधों की छह धाराओं में आरोपी को सीमित अवधि के लिए कुछ सामुदायिक कार्य करने के लिए दंड का प्रावधान है। किसी भी थाने में जीरो एफआईआर हो सकेगी, जिसे बाद में संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। बुजुर्ग, दिव्यांग और तीन साल से कम सजा वाले अपराधों में आरोपियों को गिरफ्तार करने से पूर्व डिप्टी एसपी अथवा ऊपर के रैंक के अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। सात वर्ष के ऊपर सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होगा। नए कानूनों में इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को भी अन्य साक्ष्यों के बराबर मान्य किया गया है।

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