चंदौली के मदरसों के बच्चों को लेकर बनेगा प्लान, कोर्ट के हिसाब से होगा सेटलमेंट
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2024 असंवैधानिक
हाईकोर्ट से फैसला आने के बाद चिंता बढ़ी
65 मदरसों में कुल 10 हजार से ज्यादा बच्चों का होगा समायोजन
चंदौली जिले सहित प्रदेश के कई मदरसों पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद ताले लग जाएंगे, क्योंकि हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2024 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इससे जिले में संचालित होने वाले कुल 3 अनुदानित और गैर अनुदानित 65 मदरसे प्रभावित हो रहे हैं। जिसको लेकर तरह तरह की आशंकाएं हैं। इससे यहां पढ़ने वाले तकरीबन कुल आठ हजार बच्चों की पढ़ाई को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनने लगी है, लेकिन सारी व्यवस्थाएं कोर्ट के निर्देश के अनुसार ही होंगी।
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से चलने वाले स्कूलों के बारे में प्रबंधन और प्रधानाचार्यों का कहना है कि इन मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के समक्ष परेशानी बढ़ जाएगी। हालांकि कोर्ट ने मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को अन्य वैध स्कूलों में समायोजित करने का निर्देश दिया है।
आपको बता दें कि जिले में कुल 65 मदरसे संचालित किए जाते हैं। इसमें तीन मदरसे अनुदानित (एडेड) हैं। इन तीनों मदरसों को संचालित करने के लिए राज्य सरकार से अनुदान मिलता है। वहीं शेष 62 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। जबकि 35 आधुनिकीकरण वाले मदरसे पहले ही खत्म कर दिए गए हैं। अब जिले में संचालित हो रहे मदरसों पर भी ग्रहण लग गया है। कारण कि हाईकोर्ट ने मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2024 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। ऐसे में मदरसे बंद हो जाएंगे। इससे मदरसों में बढ़ने वाले छात्र प्रभावित होंगे।
जिले में तीन अनुदानित मदरसे हैं। इसमें मदरसा मिस्बाहुल उलूम, धानापुर, इसमें मदरसा मस्दरूल उलूम असदकिया पुरानी चाकिया और मदरसा अरबिया इस्लामियां नजमुल उलूम हिनौता शामिल है। इनमें कुल 1100 बच्चे अध्ययनरत हैं।
हालांकि हाईकोर्ट ने मदरसों में पठन-पाठन करने वाले बच्चों को प्राईमरी, हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट बोर्ड से संबद्ध नियमित स्कूलों में समायोजित करने का निर्देश दिया है।
वही इस सम्बन्ध में मदरसा मिस्बाहुल उलूम, धानापुर के प्रधानाचार्य मोहम्मद खालिद ने कहा कि हाईकोर्ट ने 2004 के मदरसा एक्ट को खत्म किया है। जबकि मदरसे की मान्यता एवं ग्रांट 1987 के पहले से है। वर्तमान में मदरसों पर मदरसा एक्ट 2016 लागू है। जो 2004 के बाद का है। बहरहाल कोर्ट घर पूरा भरोसा है। इसलिए मदरसों के अस्तित्व को लेकर जरूरी हुआ तो उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
इस सम्बन्ध में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी राजेश कुमार खरवार का कहना है कि चकिया में 500, धानापुर में करीब 594 और हिनौता में करीब 300 बच्चे हैं। वहीं जिले में संचालित सभी 65 मदरसों में कुल 10 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। जिले में संचालित ऐसे मदरसे ख़त्म हो जाएंगे। वहां पढ़ने वाले बच्चों को कोर्ट के आदेश के अनुसार वैध विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा।
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