प्रचार प्रसार के अभाव में दम तोड़ रही है विद्यांजलि योजना, किसी ने नहीं दिखायी इस योजना में दिलचस्पी
विद्यांजलि योजना के तहत नहीं हुआ कोई काम
जिले में किसी भी परिषदीय विद्यालय का नही हो पाया विकास
फेल हो रही सरकार की योजना
जनप्रतिनिधि-अधिकारी-उद्यमी-स्वयंसेवी संस्था में से किसी ने नहीं लिया विद्यालयों को गोद
चंदौली जिले में विद्यांजलि योजना के तहत जिले में किसी भी परिषदीय विद्यालय का विकास नहीं हो सका। जिले के जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी, उद्यमी, स्वयंसेवी संस्था किसी ने भी विद्यालयों को गोद लेने में रुचि नहीं दिखाई। इसीलिए सरकार की इस योजना का लाभ जिले में किसी स्कूल को नहीं मिल पाया है। आगे भी इसकी संभावना कम ही दिखायी दे रही है।
आपको बता दें कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सरकारी विद्यालयों के भवनों को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद तमाम परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं, जहां पर अभी भी काम होना शेष रह गया है। जनपद में 1185 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक व कंपोजिट स्कूल संचालित हैं। इनमें 1.87 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इन स्कूलों के बेहतर विकास के लिए शासन की ओर से विद्यांजलि योजना को एक साल पहले शुरू किया गया था।
योजना के तहत जनप्रतिनिधि, उद्यमियों, स्वयंसेवी संस्थाएं अधिकारी, विद्यालय के पूर्व छात्र व उनका परिवार आदि विद्यांजलि कायाकल्प पोर्टल की मदद से तीन साल तक के लिए स्कूल को गोद ले सकते हैं। इस योजना के तहत गोद लेने वाले लोग स्ट्रीट लाइटें, सोलर लाइटें, सोलर आरओ प्लांट, अग्निशमन यंत्र, ओपन जिम, झूला व स्लाइडर, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला के उपकरण, स्टेशनरी व लाइब्रेरी के लिए किताबें आदि स्कूल को दे सकते हैं। लेकिन, इस योजना के तहत एक भी विद्यालय किसी ने गोद नहीं लिया है। वहीं, योजना के क्रियान्वयन और प्रचार-प्रसार में अधिकारियों ने रुचि नहीं दिखाई।
यह है गोद लेने की प्रक्रिया
दानदाता विद्यांजलि पोर्टल पर जाकर अपने मनचाहे स्कूल को चयनित कर सकते हैं। वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास प्रार्थना पत्र ऑनलाइन पहुंच जाएगा। फिर वह जिला स्तर पर गठित समिति से अनुमति लेकर प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया जाएगा। अनुमति के बाद वह विद्यालय को गोद ले सकेंगे।
इस सम्बन्ध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्रीप्रकाश सिंह ने बताया कि अभी तक किसी भी जनप्रतिधि, राजपत्रित अधिकारी, उद्यमी, स्वयं सेवी संस्थाओं ने आवेदन नहीं किया है। यदि कोई विद्यालयों को गोद लेता तो संबंधित विद्यालय में काफी विकास हो जाता।
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