न अधिकार न अनुमति, फिर भी प्राइवेट वाहनों पर लगी है लाल नीली बत्ती, क्या कर रहे हैं जिम्मेदार लोग
ऐसी गाड़ियों की परिवहन विभाग के अधिकारी करते हैं अनदेखी
लाल नीली बत्ती व काली फिल्म लगाकर घूम रहे फर्जी वीआईपी
परिवहन विभाग व पुलिस उदासीन
केंद्र सरकार की तरफ से वीआईपी कल्चर को दूर करने के लिए करीब 7 वर्ष पहले अफसरों-नेताओं की गाड़ियों से लाल और नीली बत्तियां को हटाने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। उसके बावजूद आज भी अधिकारी इसे नजरंदाज करते नजर आ रहे हैं।
मंत्रियों से लेकर सरकारी अधिकारियों को लोक कल्याण हित में हिदायत दी जा रही है। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों में चर्चा है कि अपनी गाड़ियों में लाल बत्ती नहीं लगाएंगे। बावजूद इसके जिले में कई ऐसी प्राइवेट लाल नीली बत्ती और हूटर लगी गाड़ियों में रौब गाँठ रहे हैं। शासन की मंशा के विपरीत अफसर लाल नीली बत्ती का मोह माया नहीं छोड़ पा रहे हैं। प्राइवेट वाहनों में बेखौफ होकर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए लाल नीली बत्ती व 100% वाली काली फिल्म लगाकर घूम रहे हैं। जिम्मेदार उच्चधिकारी व मामला सरकारी मुलाजिमों से जुड़ा होने के कारण इनपर कार्यवाही तक नही होती।
नियमों पर गौर करें तो लाल नीली बत्ती लगाने का अधिकार एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, आपदा राहत, पुलिस प्रशासन के अफसरों के अलावा प्रवर्तन कार्य से जुड़े अधिकारियों को है। लेकिन अधिकारियों ने अपनी आधिकारिक गाड़ी को ही 'पुलिस का आपातकालीन वाहन' मान लिया है। इसके साथ ही निजी गाड़ियों में भी लाल और नीली बत्ती लगाकर घूम रहे हैं। जबकि सरकार ने जिन पुलिस की गाड़ियों का जिक्र किया उनमें थाने में मौजूद पिआरवी (पुलिस रेस्पांस वीकल्स) जीप, टाटा सुमो आदि शामिल हैं।
इस श्रेणी के अफसर भी सिर्फ अधिकृत सरकारी वाहन पर ही बत्ती लगा सकते हैं। चन्दौली जिले में यह नियम बेमतलब साबित हो रहा हैं। कुछ ऐसा ही चकिया शहाबगंज मार्ग से चन्दौली तक बेरोकटोक अक्सर एक बोलेरो रेजिस्ट्रेशन नम्बर UP 50 BT 9861 फर्राटे भरते दिखती है। जानकारी के अनुसार शहाबगंज थाना क्षेत्र के अमाव गाँव निवासी अंसारुल हक अंसारी पुत्र नूर मोहम्मद के नाम से पंजीकृत है। जानकारी के अनुसार नूर मोहम्मद नौगढ़ तहसील में चपरासी के पद पर नियुक्त है। नूर मोहम्मद के पुत्र अंसारुल हक अंसारी ने अपने निजी वाहन बोलेरो पर बकायदा लाल नीली बत्ती व हूटर के साथ - साथ मोटे अक्षरों में आगे व पीछे मजिस्ट्रेट लिखाकर वह व उनके परिवार के लोग भ्रमण करते हैं। उनको शासन के निर्देशों की चिंता तनिक भी नहीं है। लाल नीली बत्ती लगी इनकी गाड़ी सड़कों पर तो फर्राटे भरते ही हैं। वहीं सार्वजनिक स्थानों पर भी बेरोकटोक आती जाती है। जबकि सत्ता परिवर्तन के बाद लाल नीली बत्ती को लेकर चर्चाएं उठने लगी थी। लेकिन इन सब का असर अधिकारियों पर नहीं है। जबकि केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के मुताबिक, निजी वाहनों पर बहुरंगी लाल, नीली, और सफ़ेद बत्ती लगाना मना है।
भारत सरकार ने 1 मई, 2017 से लाल बत्ती का इस्तेमाल सिर्फ़ आपातकालीन सेवाओं के लिए ही सीमित कर दिया है। सामान्य जनता या अन्य सरकारी अधिकारियों को लाल या नीली बत्ती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। लेकिन चन्दौली में ये अपील बेअसर होती नजर आ रही है। यह गाड़ी नौगढ़ तहसील से जिला मुख्यालय तक निजी गाड़ी में लाल नीली बत्ती व काली फिल्म लगाकर फर्राटे मारते दिखती है। उसके बावजूद भी अधिकारी इसे नजरअंदाज करते नजर आ रहे है।
इस बाबत एसडीएम नौगढ़ कुंदन राज कपूर से बात किया गया तो उन्होंने बताया की इस तरह की जानकारी मेरे संज्ञान में नही था अगर ऐसा है तो जांच कर कार्यवाही की जाएगी।
एआरटीओ सर्वेश गौतम से इस बाबत जब बात की गई तो उन्होंने बताया की प्राइवेट गाड़ीयों पर किसी भी तरह की लाल नीली बत्ती लगा कर नही चल सकता अगर ऐसे है तो वाहन स्वामी के खिलाफ नोटिस जारी कर विभागीय कार्यवाही किया जाएगा।
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