चंदौली जिले में भी भूजल संकट गहराने की ओर, पहाड़ी क्षेत्रों में 50 सेमी, मैदानी इलाकों में 25 सेमी तक गिरा जल स्तर

गर्मी शुरू होते ही बढ़ी पानी की किल्लत
जवाब देने लगते हैं कई इलाकों के हैंडपंप
गंगा तटवर्ती इलाकों में आर्सेनिक युक्त पानी बना गंभीर समस्या
भूजल दोहन और जागरूकता की कमी से बढ़ रही परेशानी
चंदौली जिले के कृषि तथा उद्योगों में भूगर्भीय जल के प्रयोग और पानी की जरूरत पूरा करने के लिए भूगर्भीय जल के चौथे स्तर से पानी के दोहन से जल संकट गहराता जा रहा है। वहीं रेन वाटर हॉर्वेस्टिंग के प्रति जागरूकता का अभाव भी भूगर्भीय जल स्तर को सुधारने में बाधा बना हुआ है। आंकड़ों के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में प्रति वर्ष आधा मीटर तो मैदानी क्षेत्र में 25 सेमी जल स्तर खिसक रहा है।

आपको बता दें कि गर्मी की शुरूआत में ही हैंडपंप जवाब देने लगे हैं। वहीं गंगा के तटवर्ती इलाके में आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या बनी हुई है। पर्वतीय वन क्षेत्रों में स्थित विशालकाय बांधों के जलाशय बंधिया ताल पोखरी भूगर्भ जल स्तर को रिचार्ज करने के प्रमुख स्रोत हैं। मैदानी क्षेत्रों में भी ताल पोखरे तालाव भूगर्भीय जलस्तर को मेंटेन करने में सहायक होते हैं। प्राचीन समय में बने ताल पोखर, तालाब, गढ़िया और पोखरिया पटते जा रहे है। मनरेगा के तहत खोदे गए तालाबों की संख्या उस कमी को पूरा नहीं कर पाई है। शहरों तथा कस्बों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति जागरूकता का भी अभाव है। जिससे भूजल के स्तर को लगातार गिरावट आ रही है।

जिले के सदर, शहाबगंज और चहनिया समेत तीन विकास खंडों में बीते आठ साल में भूजल स्तर करीब दो मीटर तक नीचे चला गया है। विभाग के मुताबिक वर्ष 2016 से 2024 के बीच सदर विकास खंड में 1.95 मीटर, चहनिया में 1.08 मीटर और शहाबगंज में 1.62 मीटर की भू जल स्तर में गिरावट पाई गई है। शासन की ओर से लगातार प्रयास क बाद भी जल स्तर में गिरावट जारी है।
भैसौड़ा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से मिलेगा पानी
वर्षों से पेयजल की समस्या से जूझ रहे वनांचल के लोगों के लिए भैसौड़ा में बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से आस है। नौगढ़ में कई वर्षों से विलंबित पेयजल परियोजना को शासन से मंजूरी मिल गई है। योजना के तहत 250 2 करोड़ रुपये की लागत से भैसोढ़ा बांध के पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से शुद्ध करने के बाद करीब छह सौ किलोमीटर पाइप लाइन के जरिए विकासखंड के 93 राजस्व गांवों के घरों में पहुंचाया जाएगा।
गंगा के किनारे आर्सेनिक युक्त पानी ज्यादा
जिले के गंगा के तटवर्ती इलाकों में हैंडपंपों से आर्सेनिक युक्त पानी निकल रहा है। इस समस्या को देखते हुए जलीलपुर में पांच वर्ष पहले जिले का पहला आरओ लगाया गया। इससे यहां की समस्या का समाधान तो हुआ है लेकिन अभी भी चहनियां और धानापुर के साथ नियामताबाद ब्लाक के बीस से अधिक गांवों में समस्या बनी हुई है।
इस संबंध में जल निगम ग्रामीण एई सीताराम यादव ने बताया कि जिले में आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या लगभग समाप्त हो गई है। भूगर्भ जल स्तर कम हो रहा है। इसको ठीक करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
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