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अभी भी जिले में दिख रहा है बाढ़ का असर, गंगा का जलस्तर बढ़ने से तीसरी बार आया उफान

पिछले एक महीने में गंगा के जलस्तर का यह तीसरा उफान है। जून के अंतिम सप्ताह से गंगा में बढ़ाव का सिलसिला शुरू हुआ था, जिसने कई गांवों को डुबो दिया।
 

गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ने से ग्रामीणों की बढ़ी चिंता

चेतावनी बिंदु से मात्र 39 सेमी दूर जलस्तर

किसानों की धान की फसल पर खतरा

24 घंटे में गंगा सात फीट बढ़ गया पानी

चंदौली जिले में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से तटवर्ती गांवों में दहशत का माहौल है। रविवार की शाम 6 बजे तक गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से मात्र 39 सेंटीमीटर नीचे दर्ज किया गया। उस समय जलस्तर 69.87 मीटर था और गंगा तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही थी। इससे ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई है कि यदि यही हाल रहा तो सोमवार तक गंगा न केवल चेतावनी बिंदु को पार करेगी बल्कि खतरे के निशान की ओर भी बढ़ सकती है।

तीसरी बार बढ़ा गंगा का जलस्तर

आपको बता दें कि पिछले एक महीने में गंगा के जलस्तर का यह तीसरा उफान है। जून के अंतिम सप्ताह से गंगा में बढ़ाव का सिलसिला शुरू हुआ था, जिसने कई गांवों को डुबो दिया। उसके बाद 7 अगस्त से पानी घटा और ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। लेकिन 24 अगस्त से पुनः गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा और एक बार फिर तटीय गांव जलमग्न हो गए। अब सितंबर में तीसरी बार गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ना प्रशासन और किसानों के लिए चुनौती बन गया है।

River Ganga

किसानों की मेहनत पर संकट

धानापुर क्षेत्र के किसानों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहली दो बाढ़ में ही ज्वार, बाजरा, अरहर जैसी खरीफ फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। मजबूरी में किसानों ने खेतों में धान की नई रोपाई की थी। लेकिन अब गंगा की तेज धार से वह भी खतरे में है। किसान घनश्याम उपाध्याय बताते हैं कि “सिर्फ 24 घंटे में गंगा का पानी 7 फीट तक बढ़ गया। अगर यही हाल तीन-चार दिन और रहा तो हमारे खेत दोबारा पानी में डूब जाएंगे।”

ग्रामीणों का कहना है कि फसल के साथ-साथ रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। लगातार बाढ़ और कटान से जमीन सिकुड़ती जा रही है, जिससे परिवारों का जीवन यापन कठिन होता जा रहा है।

बलुआ घाट पर शवदाह स्थल डूबा

गंगा के बढ़ते जलस्तर का असर बलुआ घाट पर साफ दिख रहा है। घाट की सभी सीढ़ियां जलमग्न हो चुकी हैं और शवदाह गृह तक पानी भर गया है। ग्रामीणों के अनुसार यह स्थिति लगातार तीसरी बार बनी है। हर बार पानी बढ़ने से शवदाह गृह उपयोग लायक नहीं रह जाता और अंतिम संस्कार करने में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। शनिवार की रात ही जलस्तर दो फीट तक और बढ़ गया, जिससे घाट पूरी तरह डूब गया।

River Ganga

गांव छोड़ने को मजबूर लोग

पहली बाढ़ में मुकुंदपुर, बोझवा और सरैया गांवों के लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों और रिश्तेदारों के यहां शरण लेने को मजबूर हो गए थे। दोबारा घर लौटने पर अभी चैन की सांस भी नहीं ले पाए थे कि तीसरी बार गंगा का उफान उनकी नींदें उड़ा रहा है।

ग्रामीण बताते हैं कि हर बार की बाढ़ न केवल उनकी गृहस्थी को बहा ले जाती है, बल्कि उनके सपनों और भविष्य को भी डुबो देती है। धानापुर क्षेत्र के कई गांवों में हालात इतने बिगड़े कि परिवारों को अपना घर तक छोड़कर दूसरी जगह बसना पड़ा।

River Ganga

गंगा कटान की दशकों पुरानी समस्या

गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ ही कटान की समस्या और गंभीर हो जाती है। धानापुर क्षेत्र के दर्जनों परिवार कटान के चलते भूमिहीन और बेघर हो चुके हैं। वर्ष 1975 की चकबंदी के समय कटान पीड़ितों ने गांव के पास 12.5 एकड़ बंजर भूमि को आवंटित करने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

मजबूरी में पीड़ित परिवारों ने उस बंजर जमीन पर फूस के मकान डालकर जीवन यापन शुरू किया। मगर मूल समस्या का समाधान न होने से वे आज भी असुरक्षित हैं।

प्रशासन का दावा और हकीकत

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि गंगा की कटान एक जटिल और पुरानी समस्या है, जिसके स्थायी समाधान के लिए शासन स्तर पर ही ठोस प्रयास किए जा सकते हैं। सकलडीहा के एसडीएम कुंदन राज कपूर ने बताया कि “कटान पीड़ितों की स्थिति को लेकर पहले ही आशय की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। स्थायी समाधान के लिए उच्च स्तर पर पहल जरूरी है।”

लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ रिपोर्ट और कागजी कार्रवाई से समस्या का हल नहीं निकलेगा। उन्हें तात्कालिक राहत और ठोस समाधान चाहिए।

River Ganga

बाढ़ राहत केंद्रों की स्थिति

पहली बाढ़ में जिन परिवारों को राहत केंद्रों पर शरण लेना पड़ा था, वे अब भी बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि राहत शिविरों में पीने के पानी और शौचालय की सुविधा तक ठीक से उपलब्ध नहीं है। स्कूलों और पंचायत भवनों में अस्थायी रूप से रह रहे लोगों को बीमारी फैलने का डर भी सता रहा है।

बार-बार बढ़ता जलस्तर बनी चुनौती

विशेषज्ञों के अनुसार गंगा का जलस्तर इस बार असामान्य उतार-चढ़ाव कर रहा है। पहले स्थिर रही गंगा अचानक डेढ़ सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगी और 24 घंटे के भीतर 7-8 फीट का इजाफा दर्ज किया गया। अब तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की गति से हो रहा बढ़ाव बाढ़ की गंभीर आशंका पैदा कर रहा है।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन को बाढ़ और कटान की समस्या को केवल मौसमी आपदा न मानकर स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। कटान रोधी बांध और तटबंध बनाने के अलावा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की योजना तुरंत लागू की जानी चाहिए।

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