आखिर कौन है ट्रेन रुकवाने के श्रेय का असली हकदार, सभी सांसद कर रहे हैं दावा
ट्रेनों के ठहराव को लेकर चंदौली में सियासी जंग
श्रेय लेने की होड़ में जनप्रतिनिधि
राज्यसभा सांसद के साथ लोकसभा सांसद भी कूदे मैदान में
चंदौली जिले के रेलवे स्टेशनों पर दो महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव बहाल होने से जहां एक तरफ जनता में खुशी है, वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर जिले के जन प्रतिनिधियों में श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। मझवार रेलवे स्टेशन पर महाबोधि एक्सप्रेस और धीना स्टेशन पर फरक्का एक्सप्रेस का ठहराव बुधवार को शुरू हो रहा है, लेकिन इसका श्रेय लेने के लिए भाजपा के राज्यसभा सांसदों और सपा के लोकसभा सांसद के बीच एक तरह की सियासी जंग शुरू हो गई है। हालांकि ये सच है कि सारे नेताओं ने रेलमंत्री को पत्र लिखकर इसके लिए मांग की थी।
सांसद साधना सिंह, दर्शना सिंह और वीरेंद्र सिंह के दावे
लंबे समय से चंदौली में ट्रेनों के ठहराव की मांग चल रही थी। रेलवे ने इस मांग को स्वीकार करते हुए धीना और मझवार स्टेशनों पर ट्रेनों को रोकने का निर्णय लिया। इसके बाद से ही सभी सांसद अपनी-अपनी मेहनत का हवाला देकर इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं।
राज्यसभा सांसद साधना सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने रेल मंत्री से मिलकर मझवार स्टेशन पर महाबोधि एक्सप्रेस के ठहराव की मांग की थी। दूसरी ओर, राज्यसभा सांसद दर्शना सिंह ने कहा है कि धीना समेत अन्य स्टेशनों पर ट्रेनों के ठहराव के लिए उन्होंने ही रेल मंत्री को पत्र लिखा था। इन दोनों से एक कदम आगे बढ़कर चंदौली के समाजवादी पार्टी सांसद वीरेंद्र सिंह ने भी इस ठहराव का श्रेय लिया है। उनका कहना है कि यह उनकी पहल का नतीजा है, लेकिन सत्ता में होने के कारण भाजपा के नेता इसका श्रेय ले रहे हैं।
सकलडीहा की जनता में नाराजगी
एक तरफ जहां इन स्टेशनों पर ट्रेनों के ठहराव का जश्न मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ सकलडीहा की जनता में काफी नाराजगी है। सकलडीहा में पहले अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस और दिल्ली-सियालदह अपर इंडिया एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनें रुकती थीं, लेकिन कोरोना काल के बाद से इनका ठहराव बंद कर दिया गया है। जनता का सवाल है कि जब भाजपा और सपा के नेता ट्रेनें रुकवाने का इतना श्रेय ले रहे हैं, तो सकलडीहा में पहले से रुकने वाली ट्रेनों का ठहराव क्यों बहाल नहीं करा पा रहे हैं?
लोगों का मानना है कि सकलडीहा से भाजपा का विधायक न जीतना भी इसकी एक वजह हो सकती है, जिससे इस क्षेत्र के विकास और जनता की सुविधाओं में किसी की खास दिलचस्पी नहीं दिखती। यही कारण है कि जहां नए ठहराव के लिए जनप्रतिनिधि श्रेय की होड़ में हैं, वहीं पुरानी सुविधाओं की बहाली के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है।
जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी पर सवाल
जन प्रतिनिधियों का काम केवल नई सुविधाएं उपलब्ध कराना ही नहीं, बल्कि पहले से मौजूद सुविधाओं को बनाए रखना भी होता है। चंदौली में चल रही यह श्रेय की राजनीति बताती है कि हमारे नेता जनता की सेवा से ज़्यादा अपने प्रचार-प्रसार में लगे हैं। इस तरह के मामलों में सभी दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए, ताकि जनता को इसका सीधा लाभ मिल सके।
जनता उम्मीद कर रही है कि यह सियासी होड़ जल्द खत्म होगी और सभी जनप्रतिनिधि मिलकर सकलडीहा जैसे अन्य स्टेशनों पर भी ट्रेनों का ठहराव बहाल कराने के लिए गंभीरता से प्रयास करेंगे।
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