चंद्रप्रभा फॉरेस्ट रिजर्व में तेजी से बढ़ा रही है तेंदुओं की संख्या, वन्य जीव गणना में कई जानवरों की संख्या में इजाफा

चंद्रप्रभा अभयारण्य में जैव विविधता का बढ़ता दायरा
वन विभाग की ताजा गणना में तेंदुओं की संख्या छह तक पहुंची
संरक्षण उपायों और शिकार नियंत्रण से मिली सफलता
चिंकारा, सांभर, चीतल, भालू समेत कई प्रजातियों की संख्या में इजाफा
चंदौली जिले के चकिया में वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में चकिया और नौगढ़ के वन क्षेत्रों से राहत भरी खबर आई है। लगातार घटते वन क्षेत्र और अंधाधुंध कटाई के बीच चंद्रप्रभा वन्य जीव अभयारण्य में तेंदुओं की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वन विभाग द्वारा इसी माह 16 जून तक कराई गई वन्य जीव गणना में तेंदुओं की संख्या दो से बढ़कर छह हो गई है। इसके अलावा कई अन्य प्रजातियों की आबादी में भी इजाफा हुआ है, जो वन्य जीव संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार की स्थापना वर्ष 1957 में जैव विविधता के संरक्षण और विकास के लिए की गई थी। वर्तमान में यह अभयारण्य लगभग 9600 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। यहां घने जंगल, पहाड़ियां, झरने, गुफाएं और दरें इसे न केवल वन्य जीवों के लिए आदर्श आवास बनाती हैं बल्कि इसे पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।

वन विभाग की इस ताजा गणना के मुताबिक चंद्रप्रभा, भोका, सदापुर, गर्दी, भैसड़ा, बुड़न, धुसुरिया, बलियारी और सेमरिया बीट क्षेत्रों में इस समय तेंदुओं की संख्या छह तक पहुंच गई है। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुनी हो गई है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार संरक्षण उपायों, शिकार पर नियंत्रण और बेहतर वन प्रबंधन के चलते यह वृद्धि संभव हुई है।
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अभयारण्य में चिंकारा की संख्या 274, वनरोज 357, सांभर 206, चीतल 308, भालू 205, जंगली सुअर 581, बंदर 1016, लंगूर 712, भेड़िया 16, लकड़बग्घा 156, लोमड़ी 225, सियार 363, मोर 301, साही 188 और गोह 213 पाई गई है। इन आंकड़ों में कई प्रजातियों की आबादी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है।
चंद्रप्रभा वन्य जीव अभयारण्य में पक्षियों की लगभग 150 प्रजातियां भी दर्ज की गई हैं। यहां चीतल, सांभर, नीलगाय, भालू, साही, चिंकारा, घड़ियाल और अजगर जैसी कई दुर्लभ प्रजातियां भी मिलती हैं। अभयारण्य का नाम चंद्रप्रभा नदी के नाम पर रखा गया है जिसका अर्थ 'चांद की चमक' है।
पर्यटन की दृष्टि से चकिया-नौगढ़ क्षेत्र विंध्य के घने जंगलों, हरे-भरे पहाड़ों, झरनों और प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है। चंद्रप्रभा अभयारण्य अपने जलप्रपातों, गुफाओं और प्रागैतिहासिक स्थलों के कारण भी प्रसिद्ध है। स्थानीय मान्यता के अनुसार काशी राज दिवोदास धन्वंतरि के समय से यहां की दुर्लभ और समृद्ध वनस्पतियां आयुर्वेदिक चिकित्सा का स्रोत रही हैं।
वन्य जीवों की बढ़ती संख्या से जहां वन विभाग को राहत मिली है, वहीं यह क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन और पर्यटन को भी नई दिशा दे सकता है। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग अब इन क्षेत्रों को और अधिक सुरक्षित और आकर्षक बनाने के लिए योजनाएं तैयार कर रहा है ताकि वन्य जीव संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो।
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