लापरवाह अधिकारियों और गैर-जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे लोग, अब समझ में आई गलत डिजाइन
डिज़ाइन में डिफेक्ट का असली गुनहगार कौन
एक गलती से चंदौली-मिर्ज़ापुर को जोड़ने वाले गरई नदी पुल का एस्टीमेट तीन गुना बढ़ा
अब 400 मीटर एप्रोच वे बनाकर होगा काम
चंदौली और मिर्जापुर जिले को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग पर गरई नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण की कहानी लापरवाही और तकनीकी डिफेक्ट के चलते जटिल हो गई है। चंदौली जनपद के अमरा दक्षिणी गांव के पास बन रहे इस पुल की मूल डिज़ाइन में त्रुटि आने के कारण पहले का निर्माण एस्टीमेट अब तीन गुना बढ़ाकर शासन को भेजा गया है, जिसे स्वीकृति भी मिल गई है। इस डिफेक्ट के लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) के तत्कालीन अभियंताओं और ठेकेदार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया है।
400 मीटर एप्रोच वे बनाने की तैयारी
नए और रिवाइज्ड एस्टीमेट में पुल पर सुगम आवागमन सुनिश्चित करने के लिए 400 मीटर लंबा एप्रोच वे (Approach Way) बनाने का प्रस्ताव शामिल किया गया है। यह कवायद इसलिए करनी पड़ी क्योंकि पिछली बार तत्कालीन PWD अभियंताओं और ठेकेदार की लापरवाही से पुल के पिलर स्वीकृत ऊंचाई से अधिक बना दिए गए थे, जिससे स्वीकृत छोटे एप्रोच वे से आवागमन संभव नहीं हो पा रहा था।

9 साल की देरी और तीन गुना खर्च
गरई नदी पर ध्वस्त और नीचे पुल की जगह नया पुल बनाने की पहल वर्ष 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान शुरू हुई थी। तत्कालीन विधायक पूनम सोनकर के प्रयासों से 3.03 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। हालांकि, पिलर की गलत ऊंचाई के कारण पुल का निर्माण लगभग 4 वर्षों से ठप पड़ा था।
वर्तमान में, पुल निर्माण की कवायद ने वर्तमान विधायक कैलाश आचार्य की कोशिशों से फिर जोर पकड़ा है। उनकी पहल पर 8 करोड़ 63 लाख रुपये का संशोधित (रिवाइज्ड) एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया, जिसे स्वीकृति भी मिल चुकी है। अब केवल धन आवंटन शेष है।
स्थानीय लोगों को झेलनी पड़ रही है परेशानी
पुल निर्माण में 9 वर्षों की लंबी देरी का खामियाजा चंदौली और मिर्जापुर जनपद के लगभग 1 हजार लोगों को प्रतिदिन उठाना पड़ रहा है। हर वर्ष बरसात के मौसम में अहरौरा बांध से पानी छोड़े जाने पर इस मार्ग पर आवागमन बंद हो जाता है। पुराने और छोटे 'ह्यूमन पाइप' पर बने पुल पर से बड़े वाहन नहीं गुजर पाते, जिससे यह महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग हमेशा बाधित रहता है।

10 दिनों में धन आवंटन की उम्मीद
लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता कृष्ण कुमार ने इस संबंध में सकारात्मक जानकारी देते हुए कहा कि 8.63 करोड़ रुपये का आगणन स्वीकृत हो चुका है और 10 दिनों में धन आवंटित होने की संभावना है। उन्होंने आश्वस्त किया कि धन मिलते ही एप्रोच वे के सीमांकन और मुआवजे की कार्यवाही आरंभ करके पुल निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा।
यह संशोधित एस्टीमेट न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग और लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एक छोटी-सी तकनीकी त्रुटि कैसे एक महत्वपूर्ण परियोजना को सालों तक रोक सकती है और उसकी लागत को बेतहाशा बढ़ा सकती है। लोगों को अब उम्मीद है कि जल्द ही पुल का निर्माण पूरा होगा और उन्हें रोजमर्रा की आवागमन की समस्या से निजात मिलेगी।
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