ऑडिट टीम ने मिनी सचिवालय में की खानापूर्ति, कमीशनखोरी की कैसे खुलेगी पोल

खुली बैठक की जगह मिनी सचिवालय में सोशल ऑडिट
कुछ लोगों के साथ बैठक कर ऑडिट टीम ने निभाई औपचारिकता
कई गांवों के सचिवालय के नहीं खुले ताले
हवा-हवाई अंदाज में हो गई ऑडिट पूरी
ग्रामीणों में है इसको लेकर रोष
चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड के कई गांवों में मनरेगा की सोशल ऑडिट के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। कहा जा रहा है कि सोशल ऑडिट करने वाली टीम जांच करने की जगह अपनी सेटिंग करने में लगी है। इसीलिए तो इमानदारी से जांच नहीं की जा रही है। केवल खानापूर्ति हो रही है।

शहाबगंज विकास खंड के अतायस्तगंज, बरहुआ, ग्राम पंचायत में सोमवार को सोशल आडिट के नाम पर औपचारिकता निभाई गई। वहीं बनरसिया तथा वनभीषमपुर गांव में मिनी सचिवालय के ताले तक नहीं खुले और आडिट कार्य पूरी कर ली गई। जबकि आडिट के दौरान ग्राम सभा की खुली बैठक न होने से ग्रामीणों को मनरेगा योजना सहित अन्य विकास कार्यों की जानकारी नहीं हो सकी। जिसको लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

बताते चलें कि सोशल आडिट के लिए टीम को तीन दिन पूर्व संबंधित ग्राम पंचायत के अभिलेख ब्लाक मुख्यालय से मिल जाते हैं। इन अभिलेखों का मिलान सोशल आडिट की तिथि से दो दिन पूर्व गांव में आकर टीम को करना होता है साथ ही इसकी मुनादी भी कराई जाती है। निर्धारित तिथि पर सोशल आडिट के दौरान गांव में खुली बैठक बुलाकर मनरेगा कार्यों व मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री आवासों का सत्यापन किया जाता है, लेकिन अतायस्तगंज, बरहुआ,बनरसिया, वनभीषमपुर गांव में सोशल आडिट के लिए मुनादी नहीं कराई गई। इससे ग्रामीणों को आडिट बैठक की जानकारी ही नहीं हो सकी।
ग्रामीणों का आरोप है कि ऑडिट टीम ने मिनी सचिवालय में कुछ लोगों को बुलाकर औपचारिकता पूरी कर ली। इससे भी गंभीर मामला बनरसिया तथा वनभीषमपुर गांव का है जहां मिनी सचिवालय में ताले लटके रहे और ऑडिट कार्य पूरा कर लिया गया।
कहा जा रहा है कि इस मामले में आडिटर आभा पाण्डेय ने विवरण देने से इन्कार कर दिया। प्रकरण की बाबत पूछने पर जिला विकास अधिकारी सपना अवस्थी ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि ऐसा है तो आडिट के मामले की जांच की जाएगी।
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