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बंदरों के आतंक से आमजन परेशान, अस्पताल में बढ़े रेबीज के मरीज

लोगों का कहना है कि बंदर झुंड बनाकर घरों में घुसकर रखा सामान उठा कर ले जाते हैं। बंदरों के डर से बच्चे गली, छतों पर नहीं खेलते हैं।
 



शहाबगंज इलाके में बंदरों का खौफ

हर दिन किसी न किसी को काट रहे हैं बंदर

सामानों का भी कर रहे नुकसान

ग्रामीणों की समस्या का नहीं हो रहा समाधान

चंदौली जिले के शहाबगंज इलाके में बंदरों के बढ़ते आतंक से ग्रामीण परेशान हो गये हैं। वहीं प्रशासन से  बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने की मांग भी हवा हवाई साबित हो रहा है। कस्बे में  बंदरों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि  लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं।

बंदरों से बचने के लिए लोग अपने घरों की बालकनी छतों पर हजारों रुपए खर्च करके लोहे की जाली लगवा रहे हैं, जिससे बंदरों के आतंक से बचा जा सके। बंदर किसी न किसी बच्चे, बुजुर्ग, महिलाओं व राहगीरों को काट रहे हैं। कौन सा बंदर कहां से छलांग लगा दें, किसी को समझ में नहीं आ रहा है।

लोगों का कहना है कि बंदर झुंड बनाकर घरों में घुसकर रखा सामान उठा कर ले जाते हैं। बंदरों के डर से बच्चे गली, छतों पर नहीं खेलते हैं। महिलाएं भी छतों पर कपड़े सुखाने के बाद उनकी रखवाली करती हैं। बंदर छतों पर सूखने वाले कपड़े उठाकर ले जाते हैं। धूप में सूखने वाली खाद्य सामग्री भी नुकसान कर देते है।

monkey issue

इसी तरह का नजारा  प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में हर रोज देखने को मिल रहा है, जहां तीन से चार मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनको बंदरों ने काटकर घायल किया हुआ है।

इस बारे में जानकारी देते हुए डाक्टर संदीप गौतम ने कहा कि जो रैबीज इंजेक्शन लगाने अस्पताल में आ रहे हैं। उनमें  अधिकांश बंदरों के काटे हुए हैं। विकास खण्ड परिसर के विश्रामस्थल में बैठने से लोग डर रहे हैं। हर दिन किसी न किसी को बंदर काट ले रहे हैं, जिससे आमजन में दहशत का मौहाल व्याप्त है।

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