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5 जिलों में लहलहाएगी चंदौली की आदमचीनी की फसल, किसानों का बढ़ा रूझान ​​​​​​​

चंदौली जिले में जीआई पेटेंट मिलने के बाद आदमचीनी धान की मांग चढ़ी है। इस वजह से चंदौली के अलावा पूर्वांचल के किसान भी इसकी खेती करना चाहते हैं।
 

जीआई पेटेंट मिलने के बाद बढ़ी मांग

जिले के किसानों ने 20 क्विंटल बीज तैयार

150 एकड़ में जिले में होगी खेती

250 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है चावल

चंदौली जिले में जीआई पेटेंट मिलने के बाद आदमचीनी धान की मांग चढ़ी है। इस वजह से चंदौली के अलावा पूर्वांचल के किसान भी इसकी खेती करना चाहते हैं। चंदौली किसानों ने 20 क्विंटल बीज तैयार किया है और पांच जिलों के किसानों ने बीज का ऑर्डर भी दिया है।


आपको बता दें कि पेटेंट मिलने से पहले आदमचीनी चावल 80-100 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिकता था। अब इसकी कीमत 250- 300 रुपये प्रतिकिलो हो गई है।जिसके कारण अब किसान इसको पैदा करना चाह रहे हैं।


बताते चलें कि चंदौली में तैयार आदमचीनी धान के बीज से मिर्जापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी के खेतों में रोपने की तैयारी चल रही है। बरहनी के किसान अजय सिंह ने बताया कि किसानों ने 20 क्विंटल आदमचीनी के बीज तैयार किए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 1950 किलो अधिक वाराणसी, सोनभद्र, गाजीपुर, भदोही और मिर्जापुर के किसानों की ओर से एक-एक क्विंटल बीज की मांग की है। जिले के दस किसानों ने पिछले साल 10 एकड़ में आदमचीनी की खेती की थी। उनको काफी अच्छा मुनाफा हुआ। इसके बाद सैकड़ों किसान इसकी खेती के लिए आगे आए हैं।


इसके साथ ही साथ आगामी खरीफ सीजन में 100 से 150 एकड़ में खेती की तैयारी है। 20 क्विंटल में एक-एक क्विंटल बीज पांच जिलों को वितरण के बाद बाकी के 15 क्विंटल बीज से जिले किसान इसकी खेती करेंगे।

 मई के अंतिम सप्ताह और जून के पहले सप्ताह में धान की नर्सरी डालने की योजना है।

 रासायनिक उर्वरक से करें परेहज -

यह चावल चीनी के दाने के बराबर छोटा और सुगंधित होता है इसलिए इसका नाम आदमचीनी पड़ा। पौधे पांच फीट तक लंबे होते हैं। इसकी प्राकृतिक रूप से ही खेती की जाती है। रासायनिक उर्वरक डालने पर फसल नष्ट हो जाती है। जिले के 70 से 100 किसान करीब 10 से 11 एकड़ में आदमचीनी की खेती कर रहे हैं। दिल्ली उत्तराखंड, लखनऊ में प्रदर्शनी के दौरान दो से ढाई सौ रुपये किलो तक इसकी बिक्री की गई। अब इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार उतारने के मुंबई के एक निर्यातक को चावल का नमून्ड भी भेजा गया है।


किसानों को प्रशिक्षण -

उपायुक्त उद्योग सिद्धार्थ यादव ने बताया कि जिले में काला चावल सहित ए ग्रेड के चावल को उत्कृष्ट बनाने और उसके निर्यात के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही विभाग की ओर से कई योजनाएं संचालित हैं। अभी फिलहाल चावल गेहूं के निर्यात पर रोक है। जल्द ही ए ग्रेड के चावल के निर्यात के लिए छूट देने की कवायद चल रही है। मंजूरी मिलने के बाद ए ग्रेड के चावलों को विदेश के बाजारों में नमूने के तौर पर भेजा जाएगा।

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