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चंदौली जिले में सूरजमुखी की खेती का शानदार मौका, नरवन क्षेत्र के किसान की पहल ​​​​​​​

धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध नरवन परगना के किसान अब परंपरागत खेती से हटकर सूरजमुखी जैसी फसल की भी खेती करने में दिलचस्पी लेने लगे हैं। किसानों ने सूरजमुखी की खेती के जरिये अपनी आमदनी बढ़ाने की तैयारी की है। 
 

सूरजमुखी की खेती को लेकर बनाइए प्लान

सूरजमुखी की खेती से बढ़ाइए अपनी आय

नरवन क्षेत्र में लहलहाने लगे सूरजमुखी के फूल 

चंदौली जिले के धान के कटोरे के नाम से प्रसिद्ध नरवन परगना के किसान अब परंपरागत खेती से हटकर सूरजमुखी जैसी फसल की भी खेती करने में दिलचस्पी लेने लगे हैं। किसानों ने सूरजमुखी की खेती के जरिये अपनी आमदनी बढ़ाने की तैयारी की है। 

आपको बता दें कि बरहनी गांव के किसान बनारसी सिंह ने गेहूं की फसल की जगह कम लागत में करीब आठ बिस्वा खेत में सूरजमुखी की खेती की है। खेत में लहलहाती सूरजमुखी की फसल को देख किसान काफी गदगद हैं। किसान को उम्मीद है कि यह फसल उसके लिए काफी फायदेमंद होगी और तैयार होने पर काफी लाभ मिलेगा।

बरहनी विकास खंड का नरवन परगना खासतौर से धान व गेहूं की खेती और बेहतर पैदावार वाले क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है। समय पर पानी खाद बीज न मिलने से किसानों की फसल हर वर्ष खराब होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इससे उबरने के लिए अब किसान सूरजमुखी, सब्जी, तरबूज और खरबूज की खेती करने लगे हैं। बरहनी गांव निवासी किसान बनारसी यादव ने करीब आठ बिस्वा खेत में सूरजमुखी की खेती किया है और खाद के रूप में केवल गोबर की खाद का प्रयोग किया है। अब सूरजमुखी की फसल तैयार हो गई है और पौधों पर फूल भी लहलहाने लगे हैं। फसल तैयार देखकर किसान काफी गदगद है। 

Great opportunity

आपको बता दे कि कम लागत में अच्छी फसल तैयार देख कर आसपास के दूसरे किसान भी अब सूरजमुखी की खेती करने का मन बनाने लगे हैं। किसान बनारसी सिंह ने बताया कि अगले साल से वह नई तकनीकी और वैज्ञानिक विधि से खेती करने का मन बना रहे हैं। किसान बनारसी सिंह के अनुसार धान व गेहूं की खेती में जो नुकसान हो रहा है इससे वहीं नुकसान पूरा होने की पूरी उम्मीद है।

किसान बनारसी सिंह ने पिछले साल भी सूरजमुखी की खेती किया था। इससे उन्हें करीब डेढ़ कुंतल सूरजमुखी की फसल मिली थी। इससे करीब एक कुंतल सूरजमुखी का तेल मिला था। घर के तेल से स्वाद के साथ परिवार के लोगों की सेहत भी ठीक थी। इससे प्रभावित हो कर बनारसी सिंह ने दूसरे वर्ष भी सूरजमुखी की जैविक खेती करने का फैसला लिया। अब लहलहाती फसल देख उन्हें काफी सुकून मिल रहा है। बताया कि फसल तैयार होने पर निगरानी करनी पड़ती है नहीं तो तोता फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए वह अपने स्तर से कोशिश कर रहे हैं।

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