बिना छत की व्यवस्था किए लोगों को उजाड़ना गलत, 3 बस्तियों के लिए कौन करेगा संघर्ष
भारत माला परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण
भूमि अधिग्रहण पर तेजी दिखाने के लिए लेखपालों पर जोर
डीएम ने कस रखी है सबकी नकेल
गांव के गरीबों के कौन पोछेगा आंसू
जिला प्रशासन की नीति व जोर जबरदस्ती वाले रवैए को देखकर कई सत्ताधारी दल के नेता भी मौके पर गए और दो-चार फोटो खिंचवाकर मौके पर अपनी मौखिक सहानुभूति दिखाकर चलते बने। उनके हर की लड़ाई में साथ देने वाले या उनका पुनर्वास कराने की लड़ाई लड़ने वाला कोई नहीं दिखा।
शनिवार को गांव में जाकर आईपीएफ नेता अजय राय ने कहा कि राजमार्ग के रास्ते आ रही बस्ती के निवासियों के बिना पुनर्वास की व्यवस्था किए उनके जमीन का अधिग्रहण करना उनके साथ अन्याय हैं और मुआवजे की राशि भी भूमि अधिग्रहण के दायरे में आए किसानों के लिए अपर्याप्त हैं। इसीलिए गरीबों को बिना संतुष्ट किये जबरन उनको बेदखल किया जा रहा है।
अजय राय ने समाजसेवी व इलाके से कई बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके पूर्व जिला पंचायत सदस्य तिलकधारी बिंद और पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य बरहुली महेंद्र बिंद के साथ अधिग्रहण वाले इलाके का दौरा किया। लोगों की भूमि का अधिग्रहण के दौरान रेवसां गांव की 3 बस्तियों को भी उजाड़ा जा रहा है, क्योंकि भारत माला परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के बीच में आ रही है।
रेवंसा ग्राम सभा की तीन दलित बस्ती पूरी तरह से उजड़ने वाली है। भूमि अधिग्रहण के शिकार उस गांव के दलित व यादव जाति के लोग हैं, जिनके प्रति सत्ताधारी दलों की कोई सहानुभूति नहीं है। ज्यादातर लोग हो रहे जबरन भूमि-अधिग्रहण के खिलाफ है। यहां के शिकार लोगों का आरोप हैं कि एक नेता के चर्चित स्कूल को बचाने के लिए इस तरह का काम किया गया। कुछ बड़े लोगों जमीन का भी जानबूझकर अधिग्रहण नहीं किया गया हैं ।
इस मामले की सच्चाई चाहे जो भी हो, लेकिन जमीन व मकान की अधिग्रहण होने को लेकर वहां के निवासियों की रात की नींद गायब है। हर मकान पर नम्बर पड़ गया हैं। नोटिस भी मिल गया हैं।
चंदौली में राष्ट्रीय भारत माला परियोजना चरण 2 पैकेज 3 के तहत वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस वे हाइवे 4/6 लेन के निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा -3(घ) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत के आधारण के भाग -2 खण्ड - 3 उपखंड (2) में का० आ० 1624 ( अ) के तहत अप्रैल माह में ही हो गया और मुआवजा राशि भी तय हो गया हैं, लेकिन अभी जब मुआवजा नहीं मिलने की समीक्षा की गयी तो 5 जनवरी 2024 को भुगतान नोटिस दिया गया।
रेवंसा के भूमि अधिग्रहण के चपेट में आए किसानों का कहना हैं यह मुआवजा सर्किल रेट से मिल रहा है, जो बाजार रेट से बहुत कम है। कई सालों से सर्किल रेट रिवाइज नहीं किया गया। रेवसां की तीन दलित बस्तियां भूमि अधिग्रहण होने से उजड़ जायेंगी। उनके पास जमीन का अपवाद में ही कुछ लोगों के पास कागज होगा। दलित बस्ती में प्रधानमंत्री आवास भी बना है। उसका मुआवजा भी मिलेगा कि नहीं और मिलेगा भी तो कितना मिलेगा यह कोई बताने वाला नहीं हैं।
सबको 3. 57 की दर से भुगतान की नोटिस दिखाते एक अराजी संख्या 866 से रकबा 0.1820 हेक्टेयर भूमि व अराजी संख्या 793से रकबा 0.1540 हेक्टेयर भूमि से हटाया जा रहा है। लोगों ने कहा कि हम सब इस पैसे से कहां जमीन खरीद पाएंगे और कहां बसेंगे। इसी तरह से कई परिवार ने कहा कि हमारी जमीन इस परियोजना में चली जायेगी तो हम भूमिहीन हो जाएंगे।
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सुभाष राम का केवल घर हैं। विजय बहादुर राम के पास दस बिस्सा जमीन हैं। प्रभावती देवी, गुलाब चंद यादव, बुल्लु यादव, सुदर्शन राम सहित सैकड़ों परिवार ने आकर भूमि अधिग्रहण से उत्पन्न समस्याओं को उठाया। लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज के अध्यक्ष ने भी कहा कि आखिर हम फरियाद किससे करें। नेता लोग आते-जाते हैं फोटो खिंचवाते हैं बातें लम्बी लम्बी करते हैं और चले जाते हैं..आश्वासन देने के बाद होता कुछ नहीं हैं।
इसीलिए गांव के निवासियों ने मुगलसराय से चुनाव लड़ने वाले विपक्षी नेताओं को भी खूब खरी खोटी सुनाई और कहा कि सत्तारूढ़ दल से साथ साथ विरोधी दल के लोग मतलबी हो गए हैं। सरकार हम सबको मारने पर तुली हैं और कोई हमारी मदद करने वाला नहीं है।
आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय व कई बार जिला पंचायत सदस्य रहे तिलकधारी बिन्द ने कहा कि लोगों को उजाड़ने के पहले कम से कम उनकी छत की इंतजाम जरूर करना चाहिए। यातायात की भीड़ को बढ़ने और जाम की समस्या से निजात दिलाकर आवागमन को सुगम बनाने के नाम पर इस परियोजना में कई कम्पनियों का नाम हैं, जो ऐसे गरीबों के लिए घर तो बना ही सकती हैं, जिससे ये लोग बेघर न हों। यह बस्ती गरीबों की हैं और मुगलसराय नगर में रोजगार करके आजीविका चलाते हैं। अगर बिना समुचित पुनर्वास की व्यवस्था किए इनको उजाड़कर बेघर किया जा रहा है तो यह सरासर गलत है।
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